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इमाम हसन की शहादत पर ताबूत बरामद


अमरोहा। नवासा-ए-रसूल हजरत इमाम हसन की शहादत के सिलसिले में अमरोहा व नौगांवा सादात में शबीहे ताबूत बरामद किए गए। शहर के मुहल्ला सट्टड्ढी में शजर अब्बास के मकान में मजलिस के बाद 28 सफर का जुलूस निकाला गया। मातमी अंजुमनों ने नौहेखानी पर मातम बरपा कर खिराजे अकीदत पेश की। यह जुलूस पुरानी रिवायत के मुताबिक अपने तयशुदा रास्तों से गुजरकर समाप्त हुआ। वहीं, मुहल्ला शफातपोता के अजाखाने में मजलिस हुई। मौलाना अजहर अब्बास ने खिताब में फरमाया कि अल्लाह के रसूल ने अपनी पूरी जिंदगी को दीन को फरोग देने के लिए कुर्बान कर दिया। आपने अपने दुश्मनों से भी हुस्ने सुलूक से पेश आकर इस्लाम की जो तस्वीर पेश की वह खुद में एक मिसाल है। वही मोहल्ला मजापोता में मौलाना ने नवासा-ए-रसूल की शहादत का जिक्र किया। फरमाया कि हजरत इमाम हसन को जब बार-बार जहर देकर भी नहीं मारा जा सका तो आखिर में ऐसा जहर लाया गया जिसकी एक बूंद दुनिया के सभी समुंदरों के जीवों को मारने के लिए काफी थी। दुश्मनों ने उस जहर को इमाम हसन के पानी में मिला दिया। जिसे पीने के बाद आप शहीद हो गए। इसी सिलसिले में मुहल्ला जाफरी, गुजरी व दरबार ए कलां में भी शबीहे ताबूत बरामद किए गए। कई अजाखानों में मजलिसें भी हुई। जिसमें रसूले खुदा के नवासे हजरत इमाम हसन की शहादत का जिक्र हुआ।अजाखाना छज्जी में मजलिस में सोजख्वानी मुदास्सिर अली खां व हमनवां ने की। मौलाना हैदर मेहदी ने जाकिरी फरमाई। मोहल्ला दरबारे कलां में इमामबाड़ा मुस्ममात जैनब मे मास्टर तबारक अली ने मरसिया पढ़ा।  हजरत इमाम हसन की शहादत का बयान सुनकर अजादारों की आंखे नम हो गईं। मातमी अंजुमनों ने मातम बरपा किया। इस दौरान शजर अब्बास, समर अब्बास, गुफरान मेहंदी, बाकर मुज्तबा,मोहम्मद हुसैन, हकीम गुलजार, आसिफ नकवी, अली हसनैंन, मौलाना वसीम, वसीम हैदर, मोहम्माद अली, कम्बर अली खा तनवीर हैदर, सफी नजर, शानदार मेहंदी, मुसर्रत मुज्तबा, दिलनवाज, कम्बर अली खान, असिम रजा, जहाँगीर अली, राजू, अजमत अली खा, सियादत, मोहम्माद जमशेद, रईस अहमद, शिफा हैदर, सलीम जैदी, ताजदार हुसैन, रईस हैदर ईमरान, मोहम्मद हैदर वगैरह मौजूद रहे।


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