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बोरवेल से बच्चे को निकालने की 80 घंटे की मेहनत बेकार गईं

तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु) - एक बोरवेल से बचावकर्मियों ने मंगलवार तड़के दो साल के बच्चे का शव बुरी हालत में बरामद कर लिया। बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए 80 घंटे तक चले अभियान का अंत दुखद रहा।

बच्चा अपने घर के निकट खेल रहा था, इसी दौरान यह हादसा हुआ।

सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद सुजीत विल्सन का शव उसके माता-पिता को सौंप दिया गया और एक निकटतम कब्रिस्तान में ग़मजदा माहौल में बच्चे का अंतिम संस्कार हुआ।

गौरतलब है कि बच्चा शुक्रवार शाम को नादुकट्टुपट्टी में अपने घर के पास खेलते समय बोरवेल में गिर गया था। इसके बाद कई केंद्रीय और राज्य की एजेंसियां बच्चे को निकालने के काम में जुट गयीं।

अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में बच्चा 30 फुट की गहराई में फंस गया था लेकिन वह फिसलकर और नीचे चला गया। बच्चे का शव 88 फुट की गहराई से निकाला गया।

राजस्व प्रशासन के आयुक्त जे राधाकृष्णन ने बताया कि बचावकर्मियों ने सोमवार रात करीब साढ़े 10 बजे कुछ दुर्गन्ध महसूस की जिसके बाद चिकित्सा कर्मियों, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमों ने स्थिति का आकलन किया।

राधाकृष्णन द्वारा विल्सन की मौत की घोषणा करने के बाद बचाव अभियान को शव निकालने के प्रयास के रूप में बदल दिया गया और यह अभियान इस तरह की परिस्थितियों में 'मृतक के साथ किए जाने वाले व्यवहार' के राष्ट्रीय दिशानिर्देश के अनुसार चलाया गया।

इस दुख की घड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करके संवेदना प्रकट की।

तिरुचिरापल्ली के जिला कलेक्टर एस. सिवरासू ने नादुकट्टुपट्टी गांव में पत्रकारों से कहा कि राष्ट्रीय और राज्य आपदा मोचन बल के कर्मियों ने शव निकाला।

मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी, उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम और राज्य मंत्रियों ने नादुकट्टुपट्टी गांव में शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की और संवेदना प्रकट की।

पलानीस्वामी ने परिवार को 20 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि बच्चे के बचाने के लिए हरसंभव कोशिश की गई। और अभियान के दौरान पथरीली मिट्टी अभियान में चुनौती पेश करती रही। यह दुखद है कि बच्चे को बचाया नहीं जा सका।

एक बयान में मुख्यमंत्री ने लोगों से अपने निजी जमीन पर बने बोरवेल के मामले में नियमों का पालन करने और उसे उचित तरीके से बंद करने की अपील की।

द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार का तेजी नहीं दिखाना (बच्चे की मौत का) कारण है।

उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के कर्मी घटनास्थल पर देर से पहुंचे और राज्य सरकार बच्चे को बचाने के लिए बिना किसी स्पष्ट योजना के प्रयोग करती रही।

बोरवेल को बंद करने में उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों और राज्य के नियमों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक सरकार में सारी चीजें मृगतृष्णा बन गई है और इन्हीं चीजों ने बच्चे की जान ले ली।

मुख्यमंत्री ने स्टालिन के आरोपों पर कहा कि यह जानबूझकर लगाया गया 'गलत आरोप' है और राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए यह बयान दिया गया है।

अभिनेता रजनीकांत ने सुजीत की मौत को 'बेहद दुखद' बताया है।

वहीं इस मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने तीखी टिप्पणी की कि क्या सरकार को हर कानूनी प्रावधान को लागू करने की दिशा में कदम उठाने के लिए शव की जरूरत पड़ती है।


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