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भारत में हिम तेंदुए की गणना के लिए प्रथम राष्‍ट्रीय प्रोटोकॉल का आरंभ


 केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने हिम तेंदुओं की रक्षा और संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में प्रमुख पहल करते हुए अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस के अवसर पर भारत में हिम तेंदुए की संख्या का आकलन करने के लिए आज प्रथम राष्ट्रीय प्रोटोकॉल का शुभारंभ किया।


 देश में हिम तेंदुओं की गणना का अपने किस्म का पहला कार्यक्रम वैज्ञानिक विशेषज्ञों द्वारा उन राज्यों/संघ शासित प्रदेशों, के सहयोग से विकसित किया गया है, जहां हिम तेंदुए पाए जाते हैं। इन राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।


        वैश्विक हिम तेंदुआ एवं पारिस्थितिकी संरक्षण (जीएसएलईपी) कार्यक्रम की संचालन समिति की चौथी बैठक में प्रमुख भाषण देते हुए आज श्री जावड़ेकर ने इस रेंज में आने वाले देशों से प्रकृति के संरक्षण तथा हिम तेंदुओं की संख्या की गणना में सामूहिक रूप से कार्य करने की दिशा में विचार करने का अनुरोध किया। पर्यावरण मंत्री ने कहा, 'आने वाले दशक में हम दुनिया में हिम तेंदुओं की आबादी को दोगुना करने का प्रयास करेंगे। यह दो दिवसीय सम्मेलन महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान होने वाला विचार-विमर्श, चर्चाएं, सहयोग और एक-दूसरे से सीखना और सर्वोत्तम पद्धातियों को साझा करना हम सभी के लिए लाभदायक होगा। इसलिए, हम प्रकृति को बेहतर तरीके से संरक्षित कर सकते हैं और हम सामूहिक रूप से सकारात्मक कार्य कर सकते हैं।'


जावड़ेकर ने बाघों की आबादी के संबंध में भारत की सफलता के बारे में भी जानकारी दी। इस समय 2967 बाघ हैं, यानी 77 प्रतिशत बाघों की आबादी भारत में निवास करती है, उनकी तादाद का लगभग सटीक आकलन करने के लिए 26000 कैमरों का इस्तेमाल किया गया। भारत में 500 से अधिक शेर, 30000 से अधिक हाथी, 2500 से अधिक एक सींग वाले गैंडे भी हैं।


        श्री जावड़ेकर ने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि यह विचार-विमर्श व्यावहारिक कार्यक्रम तैयार करने में सफल होगा और इसकी बदौलत प्रकृति के संरक्षण और उसमें सुधार लाने के जरिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग जीतने तथा तेंदुए, बाघ, शेर, हाथी, गैंडे और समस्त पशु साम्राज्य सहित पारिस्थितिकी के प्रतीकों की संख्या में वृद्धि होने का मार्ग प्रशस्त होगा। श्री जावड़ेकर ने कहा, “हमें क्षमता निर्माण, आजीविका, हरित अर्थव्यवस्था और तो और हिमालयी क्षेत्र के हिम तेंदुएं वाले इलाकों में और हरित मार्ग के बारे में देशों के बीच सहयोग के बारे में विचार मंथन करना चाहिए। यह उन सभी देशों के लिए आधार बनता है, जहां हिम तेंदुए पाए जाते हैं।"


        पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव  श्री सी.के. मिश्रा ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हिम तेंदुए की अहमियत के बारे में जागरूकता फैलाने और उसे समझने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “ये सम्मेलन अन्य देशों की सर्वोत्तम पद्धातियों के बारे में जानने का अवसर प्रदान करते हैं। चर्चाएं पर्यावास और पारिस्थितिकी तंत्र पर केंद्रित होनी चाहिए। हमें बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र और बेहतर पर्यावास बनाने का प्रयास करना चाहिए।”


        यहां इस बात का उल्लेख करना महत्वपूर्ण होगा कि हिम तेंदुएं 12 देशों में पाए जाते हैं। उन देशों में भारत, नेपाल, भूटान, चीन, मंगोलिया, रूस, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।


        पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 23-24 अक्टूबर, 2019 को नई दिल्ली में जीएसएलईपी कार्यक्रम की दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बैठक आयोजित की जा रही है।


        जीएसएलईपी की संचालन समिति की चौथी बैठक में नेपाल, रूस, किर्गिस्तान और मंगोलिया के मंत्रियों के साथ-साथ हिम तेंदुओं की आबादी वाले नौ देशों के वरिष्ठ अधिकारी भी भाग ले रहे हैं। जीएसएलईपी की संचालन समिति की बैठक की अध्यक्षता नेपाल और सह-अध्यक्षता किर्गिस्तान कर रहे हैं। इस बैठक में हिम तेंदुए और उसके पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए सहयोगपूर्ण प्रयासों में तेजी लाने के लिए अपने अनुभवों को साझा करेंगे। प्रतिनिधि हिम तेंदुए के पर्यावासों के विकास के लिए निरंतर किए जाने वाले प्रयासों पर भी चर्चा करेंगे।


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