रेवाड़ी (हरियाणा)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर अपना प्रहार जारी रखते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि इसके नेता अनुच्छेद 370 को समाप्त करने में नाकाम रहे, जबकि 1964 में संसद में पार्टी ने इसका वादा किया था।
मोदी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन यहां एक जनसभा में यह कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ''1964 में संसद में एक चर्चा के दौरान, देश के प्रतिष्ठित नेता परेशान हो गये...कांग्रेस में विभाजन था। यह मांग थी कि अनुच्छेद 370 को समाप्त किया जाए और इस मुद्दे पर संसद में चर्चा हो।''
मोदी ने आज अपनी दूसरी रैली में कहा, ''उस वक्त कांग्रेस नेताओं ने हाथ जोड़ कर कहा था कि उनकी मांग पूरी की जाए और अनुच्छेद 370 एक साल में समाप्त कर दिया जाएगा। लेकिन इस विषय को फिर से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।''
उन्होंने पूछा, ''क्या मजबूरी थी और क्या खेल खेला जा रहा था।''
उन्होंने विपक्षी पार्टी पर प्रहार करते हुए दावा किया कि उसने उन जवानों और पुलिसकर्मियों के लिये कोई स्मारक नहीं बनाया, जिन्होंने 70 साल तक राष्ट्र के लिये अपने प्राण न्यौछावर किये। ''सिर्फ भाजपा सरकार ने ही उनके लिये इस तरह के स्मारक बनाये।''
मोदी ने कहा कि यह भाजपा सरकार है जिसने अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द किया, जबकि कांग्रेस सिर्फ निजी फायदे की सोच रही थी।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि 'वन रैंक,वन पेंशन' (ओआरओपी) योजना के तहत केवल हरियाणा में ही दो लाख पूर्व सैनिकों को 900 करोड़ रुपये दिये गये।
मोदी ने कहा कि भाजपा सरकार ने सैनिकों के लिये अत्याधुनिक हथियार, राफेल लड़ाकू विमान और बुलेटप्रूफ जैकेट लाकर अपने सशस्त्र बलों को मजबूत किया।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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