लंदन - उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ब्रिटेन की संसद बुधवार को बहाल हो गयी। शीर्ष न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का संसद को निलंबित रखने का आदेश गैरकानूनी, अमान्य था ।
अदालत के फैसले ने जॉनसन के अधिकार क्षेत्र पर पर भी सवाल उठाया है। इससे उनके इस्तीफे की मांग बढ़ गयी है और 31 अक्टूबर को यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने के उनके वादों पर भी संशय गहरा गया है ।
पांच सप्ताह तक संसद को निलंबित करने के प्रधानमंत्री के फैसले को अमान्य करार दिए जाने के न्यायालय के मंगलवार के फैसले के बाद राजनीतिक गतिरोध गहरा गया है। कंजरवेटिव पार्टी के नेता जॉनसन न्यूयार्क के दौरे के बाद सुबह साढ़े 10 बजे लंदन पहुंचे।
प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, फैसले को लेकर जॉनसन बुधवार को सांसदों को संबोधित करने वाले हैं। हालांकि, उन्होंने जोर दिया है कि वह ब्रेक्जिट की समय सीमा 31 अक्टूबर को बढ़ाने के लिए सांसदों की मांग को नहीं स्वीकार करेंगे। इससे सांसदों के साथ उनका एक और टकराव हो सकता है ।
हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर जॉन बरकोउ ने बुधवार को साढे ग्यारह बजे संसद की बैठक बुलायी है। ऊपरी सदन की बैठक भी होने वाली है ।
लेबर पार्टी के विपक्षी नेता जेरेमी कोरबिन ने जॉनसन के इस्तीफे की मांग की है, लेकिन कहा है कि वह बिना शर्त ब्रेक्जिट समझौते की संभावना खत्म होने तक संसद में अविश्वास मत का आह्वान नहीं करेंगे ।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
टिप्पणियाँ