राज्यकर्मी साहित्यकारों हेतु कहानी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा हंै। कहानी प्रतियोगिता में भाग लेने केे इच्छुक राज्यकर्मी साहित्यकार अधिकतम 04 पृष्ठ (फुल स्केप कागज) पर राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उ0प्र0 के कार्यालय में आगामी 21 सितम्बर, 2019 तक भेज सकते हैं।
यह जानकारी आज यहां राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उ0प्र0 के महामंत्री डा0 दिनेश चन्द्र अवस्थी ने दी। उन्होंने बताया कि राजकीय उत्तरदायित्वों को निभाने के साथ हीे साहित्य सृजन में रूचि रखने वाले राज्यकर्मियों को प्रोत्साहित करने एवं उनकी प्रतिभा को निखारने के उद्देश्य से इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। प्रतियोगिता में संस्थान द्वारा गठित साहित्यकार समीक्षकों की समिति द्वारा विजेताओं का निर्णय लिया जायेगा एवं 03 उत्कृष्ट कहानियों के लेखकांे को रूपये दो हजार एक सौ एवं अन्य 03 कहानियों को एक हजार एक सौ के पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे।
श्री अवस्थी ने बताया कि प्रेषित की जाने वाली कहानी में राजनीतिक-सामाजिक आलोचना/निंदा, प्रशासन के विरूद्ध एवं विवादास्पद बातंे नहीं होनी चाहिए। कहानी के ऊपर के एक कवर पृष्ठ पर अपना नाम, पता, सम्पर्क दूरभाष व कार्यालय का पता अंकित होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उ0प्र0 एक प्रख्यात साहित्यिक संस्था है जिसमें राज्य कर्मचारी/अधिकारी सदस्य एवं पदाधिकारी होते हैं तथा संस्था के पदेन संरक्षक उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव हैं।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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