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बच्चों की शिक्षा में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए - राज्यपाल


उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन परिसर स्थित श्री सत्य सांई बाबा पूर्व माध्यमिक एवं प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया। इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव श्री हेमन्त राव, जिलाधिकारी लखनऊ श्री कौशल राज शर्मा, बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री अमर कांत, प्रधानाचार्या श्रीमती ऊषा आर्या सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। राजभवन परिसर स्थित विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। राज्यपाल ने कक्षाओं, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, पीने के पानी की व्यवस्था, मिड-डे-मील व शौचालय का बारीकी से निरीक्षण करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। उन्होंने सभी बच्चों को फल एवं मिष्ठान भी वितरित किये।  
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने विद्यालय के सभी कक्षों का निरीक्षण किया तथा बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री अमर कांत को निर्देशित किया कि प्रधानाचार्या से समन्वय करके पाठ्यक्रम के अनुसार विद्यालय को आवश्यक पुस्तकें, पुस्तकालय एवं प्रयोगशाला की जो भी आवश्यकता हो उसकी सूची बनाकर पूरा करें। बच्चों में पुस्तक पढ़ने की रूचि बढ़े इस दृष्टि से एक निश्चित समयावधि के लिये उन्हें विद्यालय में पुस्तक पढ़ने को दें और उनकी रूचि के अनुसार पुस्तकें घर ले जाकर पढ़ने की भी सुविधा दें। उन्होंने कहा कि बच्चे जब पुस्तक वापस करें तो शिक्षक इसकी भी जानकारी लें कि बच्चों ने पुस्तक में क्या पढ़ा है। 
श्रीमती पटेल ने कहा कि प्रवेश एवं कक्षा प्रारम्भ करने के बीच यह भी ध्यान रखें कि बाद में आने वाला बच्चा पढ़ाई में पिछड़ने न पाये। शिक्षक बच्चों को स्कूल आने के लिये प्रेरित करें एवं उनकी पढ़ाई पर विशेष ध्यान दें जिससे उनकी बौद्धिक क्षमता का विकास हो। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के पोषण पर भी ध्यान दें जिससे बच्चे कुपोषित न हों। अभिभावक से भी निरन्तर सम्पर्क बनाये रखें। शिक्षक स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें तथा बच्चों को भी स्वच्छता के प्रति प्रेरित करें। राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं की उपस्थिति की जानकारी ली तथा शिक्षक क्या पढ़ाते हैं उसकी भी जानकारी विद्यार्थियों से ली। 
राज्यपाल ने शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षक अपने दायित्व को समझें। भावी पीढ़ी को शिक्षित करना उनकी जिम्मेदारी है, इस दृष्टि से बच्चों की शिक्षा में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। श्रीमती पटेल ने बच्चों की पुस्तकें, कापियां आदि भी देखीं तथा उनसे कविता, गीत, पहाड़े, अक्षरज्ञान व स्पैलिंग भी पूछी। उन्होंने कहा कि बच्चों की उत्तर पुस्तिकाओं को शिक्षकगण नियमित रूप से जांचे और पढ़ाई में कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान दें। 


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