उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने अपने पांचवें वर्ष का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज राजभवन में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में अपने पांचवें वर्ष का कार्यवृत्त 'राजभवन में राम नाईक 2018-19' का हिन्दी एवं उर्दू भाषा में लोकार्पण किया।
कार्यवृत्त जारी करते हुए राज्यपाल ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने 5,257 नागरिकों से तथा पांच वर्ष में कुल 30,225 नागरिकों से राजभवन में भेंट की। पांचवे वर्ष में राजभवन में 37,107 पत्र जनता ने विभिन्न माध्यमों से प्रेषित किए, जिन पर राजभवन द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की गई जबकि पांच वर्ष में कुल प्राप्त पत्रों की संख्या 2,10,643 है। उन्होंने राजभवन में 54 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ में 165 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ से बाहर प्रदेश में 100 सार्वजनिक कार्यक्रमों और उत्तर प्रदेश से बाहर 25 सार्वजनिक कार्यक्रमों में सहभाग किया। राज्यपाल ने अपने कार्यकाल की अवधि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गत पांच वर्ष में अब तक वे राजभवन में 219 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ में 955 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ से बाहर उत्तर प्रदेश में 536 कार्यक्रमों, उत्तर प्रदेश से बाहर कुल 147 कार्यक्रमों में सम्मिलित हुए हैं।
राज्यपाल ने बताया कि कुलाधिपति के रूप में 26 विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह में वे सम्मिलित हुए हैं जबकि प्रदेश में स्थापित 2 निजी विश्वविद्यालयों/संस्थाओं के दीक्षान्त समारोह में भी उन्होंने सहभाग किया है। राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार लाना उनकी पहली प्राथमिकता रही है और इसके लिए उन्होंने प्रथम वर्ष से ही विश्वविद्यालयों को निर्देश दिये थे तथा वर्ष में दो कुलपति सम्मेलन भी आयोजित किये जा रहे हैं। इस वर्ष शैक्षिक सत्र 2018-19 में दीक्षान्त समारोहों में कुल 12,78,985 छात्र/छात्राओं को विभिन्न पाठ्यक्रमों की उपाधियाँ प्रदान की गयी, जिनमें से 7,14,764 अर्थात् 56 प्रतिशत छात्राओं ने उपाधियाँ अर्जित की हैं। कुल 1,741 पदकों में 1,143 अर्थात् 66 प्रतिशत पदकों पर छात्राआंे ने कब्ज़ा किया है। राज्यपाल ने कहा कि विगत वर्षों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिए उठाये गये कदमों के फलस्वरूप आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि उपाधि प्राप्त कर्ताओं में छात्राओं का अनुपात जहाँ वर्ष 2015-16 के दौरान 40 प्रतिशत था वही शैक्षिक सत्र 2018-19 के दौरान यह स्तर बढ़कर 56 प्रतिशत पर पहुँच गया है।
श्री नाईक ने बताया कि वे जिन संस्थाओं के पदेन अध्यक्ष है पांचवें वर्ष में उनकी 6 बैठकों की अध्यक्षता भी उन्होंने की है। कार्यवृत्त की अवधि में 24 पत्र राष्ट्रपति को, 29 पत्र प्रधानमंत्री, 131 पत्र उप राष्ट्रपति एवं केन्द्रीय मंत्रियों को, 329 पत्र मुख्यमंत्री तथा 210 पत्र प्रदेश के मंत्रीगण को उन्होंने प्रेषित किए है। पांच वर्ष में कुल 116 पत्र राष्ट्रपति को, 199 पत्र प्रधानमंत्री को, 551 पत्र उप राष्ट्रपति एवं केन्द्रीय मंत्रियों को, 1,623 पत्र मुख्यमंत्री को तथा 634 पत्र प्रदेश के मंत्रीगण को उनके द्वारा लिखे गये हैं।
राज्यपाल ने बताया कि उन्हें एक वर्ष में प्रदेश के बाहर आयोजित कार्यक्रमों में जाने के लिये कुल 73 दिन स्वीकृत हैं। वर्ष 2018 में वे 40 दिन (55 प्रतिशत) और वर्ष 2019 में अब तक 9 दिन (12 प्रतिशत) प्रदेश के बाहर गये थे। इस अवधि उन्होंने 25 कार्यक्रमों में प्रतिभाग किया है। श्री नाईक ने बताया कि राज्यपाल को 20 दिन का वार्षिक अवकाश उपभोग करने की अनुमति है। पांचवे कार्यवृत्त की अवधि में उन्होंने मात्र 3 दिन का अवकाश चिकित्सकों की सलाह पर एहतियात के तौर पर 'पेस मेकर' लगवाने हेतु लिया था। इस प्रकार कुल पांच वर्ष में देय 100 दिन के अवकाश के सापेक्ष उन्होंने कुल 22 दिन (2014-15 में 10 दिन, 2015-16 में 9 दिन एवं 2018-19 में 3 दिन) का अवकाश लिया है।
श्री नाईक ने अपने कार्यकाल में किये गये समाधान देने वाले प्रयासों का उल्लेख करते हुये बताया कि (1) उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस का 24 जनवरी को राजकीय स्तर पर आयोजन, (2) कुष्ठ पीड़ितों के लिये निर्वाह भत्ता रूपये 300/- से बढ़ाकर रूपये 2,500/- करने तथा प्रदेश में 3,791 कुष्ठ पीड़ितों को 'मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण' के अंतर्गत रूपये 46 करोड़ की लागत से उन्हें पक्के आवास देने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा उनके अनुरोध पर किया गया जिसका बजट में समावेश राज्य सरकार ने किया, (3) लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के प्रसिद्ध वाक्य 'स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूंगा' के 101 वर्ष पूर्ण होने पर समारोह का आयोजन, (4) भारतरत्न डाॅ0 भीमराव आंबेडकर का सही नाम लिखा जाना, (5) उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिये हुआ अनुबन्ध, (6) विधानसभा चुनाव 2017 तथा निकाय चुनाव 2017 में सबसे ज्यादा मतदान करने वालों का राजभवन में अभिनन्दन समारोह, (7) देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण प्राप्त महानुभावों का राजभवन में अभिनन्दन समारोह, (8) 'इलाहाबाद' का नाम परिवर्तन कराके पूर्व पौराणिक एवं ऐतिहासिक नाम 'प्रयागराज' और 'फैजाबाद' का नाम 'अयोध्या' किया गया, (9) उनकी मूल मराठी संस्मरणात्मक पुस्तक 'चरैवेति!चरैवेति!!' का हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, गुजराती, संस्कृत, सिंधी, अरबी, फारसी, जर्मन और असमिया सहित 11 भाषाओं तथा ब्रेल लिपि में 3 भाषाओं मराठी, हिन्दी एवं अंग्रेजी में प्रकाशन।
राज्यपाल ने अपने कार्यवृत्त में 'कुछ विशेष' शीर्षक से 9 विषयों का उल्लेख किया है, (1) पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि, (2) कुम्भ 2019, (3) राज्यपालों की समिति की रिपोर्ट, (4) उत्तर प्रदेश दिवस, (5) गीत रामायण, (6) पुस्तक चरैवेति!चरैवेति!! के संस्करण, (7) मतदान-महादान, (8) महत्वपूर्ण प्रयास एवं (9) राजभवन परिवार के अभिभावक के रूप में। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी एवं स्व0 जार्ज फर्नांडीज की श्रद्धांजलि स्वरूप लिखे गये लेख का भी राज्यपाल ने अपने कार्यवृत्त में उल्लेख किया है। राज्यपाल ने बताया कि कार्यवृत्त की अवधि में उनकी पुस्तक 'चरैवेति!चरैवेति!!' का सिंधी, अरबी, फारसी, जर्मन, असमिया भाषा सहित ब्रेल लिपि हिन्दी, अंग्रेजी एवं मराठी संस्करण का प्रकाशन हुआ। पुस्तक 'चरैवेति!चरैवेति!!' अब 11 भाषाओं तथा ब्रेल लिपि में 3 भाषाओं में उपलब्ध है। पुस्तक के कश्मीरी, बांग्ला एवं तमिल भाषा में अनुवाद के प्रस्ताव भी उन्हें प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि संस्मरणात्मक पुस्तक 11 भाषाओं सहित ब्रेल लिपि में 3 भाषाओं में होना, साहित्यिक क्षेत्र में विक्रम माना जा रहा है।
श्री नाईक ने राज्यपाल के रूप में उन्हें प्रदेश की जनता और पत्रकारों से मिले सहयोग के लिये धन्यवाद देते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश में उन्हें सबका साथ और स्नेह मिला। उत्तर प्रदेश विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर होते हुये सर्वोत्तम प्रदेश बनने की दिशा में बढ़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि श्री राम नाईक ने 22 जुलाई, 2014 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद की शपथ ली थी। राज्यपाल ने पहले छः माह का कार्यकाल पूर्ण होने पर कार्यवृत्त प्रस्तुत किया था, फिर पहले, दूसरे, तीसरे, चैथे वर्ष पर अपना कार्यवृत्त जारी किया था। कार्यवृत्त जारी करने की परम्परा का निर्वहन वे 40 वर्ष पूर्व से कर रहे हैं। जवाबदेही और पारदर्शिता की दृष्टि से 1978 में प्रथम बार विधायक निर्वाचित होने पर 'विधान सभा में राम नाईक', सांसद बनने पर 'लोकसभा में राम नाईक', जनसेवा में रहते हुए 'लोकसेवा में राम नाईक' और अब राज्यपाल रहते हुए 'राजभवन में राम नाईक' के नाम से प्रतिवर्ष जनता के समक्ष अपना वार्षिक कार्यवृत्त प्रकाशित करते रहे हैं। इसी क्रम में राज्यपाल द्वारा आज अपने पांचवें वर्ष का कार्यवृत्त 'राजभवन में राम नाईक 2018-19' प्रस्तुत किया है। कार्यवृत्त के साथ राज्यपाल की पुस्तक 'चरैवेति!चरैवेति!!' के सभी 11 भाषाओं एवं ब्रेल लिपि 3 भाषाओं के प्रकाशन के छायाचित्र की पत्रिका भी वितरित की गयी।
कार्यवृत्त जारी करते हुए राज्यपाल ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने 5,257 नागरिकों से तथा पांच वर्ष में कुल 30,225 नागरिकों से राजभवन में भेंट की। पांचवे वर्ष में राजभवन में 37,107 पत्र जनता ने विभिन्न माध्यमों से प्रेषित किए, जिन पर राजभवन द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की गई जबकि पांच वर्ष में कुल प्राप्त पत्रों की संख्या 2,10,643 है। उन्होंने राजभवन में 54 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ में 165 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ से बाहर प्रदेश में 100 सार्वजनिक कार्यक्रमों और उत्तर प्रदेश से बाहर 25 सार्वजनिक कार्यक्रमों में सहभाग किया। राज्यपाल ने अपने कार्यकाल की अवधि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गत पांच वर्ष में अब तक वे राजभवन में 219 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ में 955 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ से बाहर उत्तर प्रदेश में 536 कार्यक्रमों, उत्तर प्रदेश से बाहर कुल 147 कार्यक्रमों में सम्मिलित हुए हैं।
राज्यपाल ने बताया कि कुलाधिपति के रूप में 26 विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह में वे सम्मिलित हुए हैं जबकि प्रदेश में स्थापित 2 निजी विश्वविद्यालयों/संस्थाओं के दीक्षान्त समारोह में भी उन्होंने सहभाग किया है। राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार लाना उनकी पहली प्राथमिकता रही है और इसके लिए उन्होंने प्रथम वर्ष से ही विश्वविद्यालयों को निर्देश दिये थे तथा वर्ष में दो कुलपति सम्मेलन भी आयोजित किये जा रहे हैं। इस वर्ष शैक्षिक सत्र 2018-19 में दीक्षान्त समारोहों में कुल 12,78,985 छात्र/छात्राओं को विभिन्न पाठ्यक्रमों की उपाधियाँ प्रदान की गयी, जिनमें से 7,14,764 अर्थात् 56 प्रतिशत छात्राओं ने उपाधियाँ अर्जित की हैं। कुल 1,741 पदकों में 1,143 अर्थात् 66 प्रतिशत पदकों पर छात्राआंे ने कब्ज़ा किया है। राज्यपाल ने कहा कि विगत वर्षों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिए उठाये गये कदमों के फलस्वरूप आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि उपाधि प्राप्त कर्ताओं में छात्राओं का अनुपात जहाँ वर्ष 2015-16 के दौरान 40 प्रतिशत था वही शैक्षिक सत्र 2018-19 के दौरान यह स्तर बढ़कर 56 प्रतिशत पर पहुँच गया है।
श्री नाईक ने बताया कि वे जिन संस्थाओं के पदेन अध्यक्ष है पांचवें वर्ष में उनकी 6 बैठकों की अध्यक्षता भी उन्होंने की है। कार्यवृत्त की अवधि में 24 पत्र राष्ट्रपति को, 29 पत्र प्रधानमंत्री, 131 पत्र उप राष्ट्रपति एवं केन्द्रीय मंत्रियों को, 329 पत्र मुख्यमंत्री तथा 210 पत्र प्रदेश के मंत्रीगण को उन्होंने प्रेषित किए है। पांच वर्ष में कुल 116 पत्र राष्ट्रपति को, 199 पत्र प्रधानमंत्री को, 551 पत्र उप राष्ट्रपति एवं केन्द्रीय मंत्रियों को, 1,623 पत्र मुख्यमंत्री को तथा 634 पत्र प्रदेश के मंत्रीगण को उनके द्वारा लिखे गये हैं।
राज्यपाल ने बताया कि उन्हें एक वर्ष में प्रदेश के बाहर आयोजित कार्यक्रमों में जाने के लिये कुल 73 दिन स्वीकृत हैं। वर्ष 2018 में वे 40 दिन (55 प्रतिशत) और वर्ष 2019 में अब तक 9 दिन (12 प्रतिशत) प्रदेश के बाहर गये थे। इस अवधि उन्होंने 25 कार्यक्रमों में प्रतिभाग किया है। श्री नाईक ने बताया कि राज्यपाल को 20 दिन का वार्षिक अवकाश उपभोग करने की अनुमति है। पांचवे कार्यवृत्त की अवधि में उन्होंने मात्र 3 दिन का अवकाश चिकित्सकों की सलाह पर एहतियात के तौर पर 'पेस मेकर' लगवाने हेतु लिया था। इस प्रकार कुल पांच वर्ष में देय 100 दिन के अवकाश के सापेक्ष उन्होंने कुल 22 दिन (2014-15 में 10 दिन, 2015-16 में 9 दिन एवं 2018-19 में 3 दिन) का अवकाश लिया है।
श्री नाईक ने अपने कार्यकाल में किये गये समाधान देने वाले प्रयासों का उल्लेख करते हुये बताया कि (1) उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस का 24 जनवरी को राजकीय स्तर पर आयोजन, (2) कुष्ठ पीड़ितों के लिये निर्वाह भत्ता रूपये 300/- से बढ़ाकर रूपये 2,500/- करने तथा प्रदेश में 3,791 कुष्ठ पीड़ितों को 'मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण' के अंतर्गत रूपये 46 करोड़ की लागत से उन्हें पक्के आवास देने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा उनके अनुरोध पर किया गया जिसका बजट में समावेश राज्य सरकार ने किया, (3) लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के प्रसिद्ध वाक्य 'स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूंगा' के 101 वर्ष पूर्ण होने पर समारोह का आयोजन, (4) भारतरत्न डाॅ0 भीमराव आंबेडकर का सही नाम लिखा जाना, (5) उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिये हुआ अनुबन्ध, (6) विधानसभा चुनाव 2017 तथा निकाय चुनाव 2017 में सबसे ज्यादा मतदान करने वालों का राजभवन में अभिनन्दन समारोह, (7) देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण प्राप्त महानुभावों का राजभवन में अभिनन्दन समारोह, (8) 'इलाहाबाद' का नाम परिवर्तन कराके पूर्व पौराणिक एवं ऐतिहासिक नाम 'प्रयागराज' और 'फैजाबाद' का नाम 'अयोध्या' किया गया, (9) उनकी मूल मराठी संस्मरणात्मक पुस्तक 'चरैवेति!चरैवेति!!' का हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, गुजराती, संस्कृत, सिंधी, अरबी, फारसी, जर्मन और असमिया सहित 11 भाषाओं तथा ब्रेल लिपि में 3 भाषाओं मराठी, हिन्दी एवं अंग्रेजी में प्रकाशन।
राज्यपाल ने अपने कार्यवृत्त में 'कुछ विशेष' शीर्षक से 9 विषयों का उल्लेख किया है, (1) पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि, (2) कुम्भ 2019, (3) राज्यपालों की समिति की रिपोर्ट, (4) उत्तर प्रदेश दिवस, (5) गीत रामायण, (6) पुस्तक चरैवेति!चरैवेति!! के संस्करण, (7) मतदान-महादान, (8) महत्वपूर्ण प्रयास एवं (9) राजभवन परिवार के अभिभावक के रूप में। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी एवं स्व0 जार्ज फर्नांडीज की श्रद्धांजलि स्वरूप लिखे गये लेख का भी राज्यपाल ने अपने कार्यवृत्त में उल्लेख किया है। राज्यपाल ने बताया कि कार्यवृत्त की अवधि में उनकी पुस्तक 'चरैवेति!चरैवेति!!' का सिंधी, अरबी, फारसी, जर्मन, असमिया भाषा सहित ब्रेल लिपि हिन्दी, अंग्रेजी एवं मराठी संस्करण का प्रकाशन हुआ। पुस्तक 'चरैवेति!चरैवेति!!' अब 11 भाषाओं तथा ब्रेल लिपि में 3 भाषाओं में उपलब्ध है। पुस्तक के कश्मीरी, बांग्ला एवं तमिल भाषा में अनुवाद के प्रस्ताव भी उन्हें प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि संस्मरणात्मक पुस्तक 11 भाषाओं सहित ब्रेल लिपि में 3 भाषाओं में होना, साहित्यिक क्षेत्र में विक्रम माना जा रहा है।
श्री नाईक ने राज्यपाल के रूप में उन्हें प्रदेश की जनता और पत्रकारों से मिले सहयोग के लिये धन्यवाद देते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश में उन्हें सबका साथ और स्नेह मिला। उत्तर प्रदेश विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर होते हुये सर्वोत्तम प्रदेश बनने की दिशा में बढ़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि श्री राम नाईक ने 22 जुलाई, 2014 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद की शपथ ली थी। राज्यपाल ने पहले छः माह का कार्यकाल पूर्ण होने पर कार्यवृत्त प्रस्तुत किया था, फिर पहले, दूसरे, तीसरे, चैथे वर्ष पर अपना कार्यवृत्त जारी किया था। कार्यवृत्त जारी करने की परम्परा का निर्वहन वे 40 वर्ष पूर्व से कर रहे हैं। जवाबदेही और पारदर्शिता की दृष्टि से 1978 में प्रथम बार विधायक निर्वाचित होने पर 'विधान सभा में राम नाईक', सांसद बनने पर 'लोकसभा में राम नाईक', जनसेवा में रहते हुए 'लोकसेवा में राम नाईक' और अब राज्यपाल रहते हुए 'राजभवन में राम नाईक' के नाम से प्रतिवर्ष जनता के समक्ष अपना वार्षिक कार्यवृत्त प्रकाशित करते रहे हैं। इसी क्रम में राज्यपाल द्वारा आज अपने पांचवें वर्ष का कार्यवृत्त 'राजभवन में राम नाईक 2018-19' प्रस्तुत किया है। कार्यवृत्त के साथ राज्यपाल की पुस्तक 'चरैवेति!चरैवेति!!' के सभी 11 भाषाओं एवं ब्रेल लिपि 3 भाषाओं के प्रकाशन के छायाचित्र की पत्रिका भी वितरित की गयी।
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