तीन दशकों से प्रदेश में कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है नाबार्ड
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री, श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि नाबार्ड पिछले तीन दशकों से उत्तर प्रदेश में कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में वित्तीय और विकासपरक सहायता के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड गैर कृषि क्षेत्र में भी कार्य कर रहा है। साथ ही ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में भी अहम योगदान दे रहा है।
श्री शाही देश के शीर्ष विकास बैंक के 38 वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में नाबार्ड कार्यालय, लखनऊ में आयोजित एक समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने नाबार्ड द्वारा किसानों, बैंकों और राज्य सरकार को कई रूपों में दी जाने वाली सहायता यथा उत्तर प्रदेश में कृषि के लिए ऋण प्रवाह को गहन करने, महत्वपूर्ण ग्रामीण बुनियादी ढाँचे का विकास, स्वयं सहायता समूह के आंदोलन को गति देना और अन्य सहायक उपायों जैसे किसान उत्पादक संगठनों का गठन और राज्य में कृषि और गैर कृषि क्षेत्र में नवाचार आदि के लिए भी नाबार्ड को बधाई दी।
कृषि मंत्री ने कहा कि नाबार्ड द्वारा उठाए गए ऐसे उपायों का कृषि में ऋण प्रवाह को आसान बनाने, किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। पिछले वर्ष के दौरान किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जारी करने में नाबार्ड द्वारा दी गयी सहायता की सराहना करते हुए उन्होंने नाबार्ड और प्रदेश में कार्यरत विभिन्न बैंकों से चालू वर्ष के दौरान राज्य में 25 लाख नए के.सी.सी. जारी करने की विशाल चुनौती को पूरा करने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने की अपील की।
पिछले 24 वर्षों में अपने फ्लैगशिप रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (त्प्क्थ्) के तहत राज्य में सिंचाई और ग्रामीण कनेक्टिविटी के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए नाबार्ड की सहायता की सराहना करते हुए, उन्होंने उल्लेख किया कि नाबार्ड ने राज्य सरकार को सरयू नहर, मध्य गंगा और अर्जुन सहायक जैसे तीन प्राथमिकता वाली सिंचाई परियोजनाओं के लिए रु. 6431 करोड़ की सहायता दी है, जिससे 15.94 हेक्टेयर भूमि सिंचाई के तहत आ सकती है और किसानों की आय दोगुनी करने के भारत सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने में मददगार सिद्ध होगी। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश में नाबार्ड के योगदान संबंधी ''उत्तर प्रदेश में नाबार्ड की भूमिका-2018-19'' नामक प्रकाशन जारी किया। इस आयोजन में राज्य सरकार, बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भागीदारी करने वाले अन्य संगठनों ने भाग लिया।
अपर मुख्य सचिव, वित्त श्री संजीव कुमार मित्तल ने कहा कि त्प्क्थ् के तहत नाबार्ड के वित्तीय सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे में सुधार करना संभव हुआ, जिसने न केवल किसानों को सिंचाई की सुविधा प्रदान की, बल्कि अपनी उपज बाजारों तक बेचने के लिए उनकी कनेक्टिविटी में भी सुधार किया। उन्होंने विविध आधारभूत संरचना गतिविधियों के लिए त्प्क्थ् के तहत सहायता प्राप्त करने की आवश्यकता का उल्लेख किया। वे बतौर विशिष्ट अतिथि अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड, श्री शंकर ए. पांडे ने 37 वर्षों की यात्रा का उल्लेख करते हुए प्रमुख उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने नाबार्ड द्वारा कृषि और ग्रामीण विकास के अपने जनादेश को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार, बैंकों और अन्य हितधारकों को वित्तीय, तकनीकी और संवर्धक सहायता प्रदान करने के लिए किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने राज्य सरकार, बैंकों और अन्य हितधारकों द्वारा नाबार्ड के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दिए गए समर्थन और सहयोग पर आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव, सहकारिता श्री एम.वी.एस. रामी रेड्डी और ने राज्य में ग्रामीण सहकारिता क्षेत्र के पर्यवेक्षण और विकास में नाबार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय निदेशक, रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया, श्री लक्ष्मी कांता राव ने कहा कि नाबार्ड ने कृषि और ग्रामीण विकास पर ध्यान देने के साथ एक पूर्ण विकसित वित्त संस्थान बनने के लिए सफलतापूर्वक अपनी भूमिका निभाई है। बैंक ऑफ बड़ौदा (ैस्ठब्) और अन्य बैंकों के अधिकारियों ने वित्तीय समावेशन और प्रदेश के विकास हेतु वित्तपोषण में नाबार्ड की सहायता की सराहना की।
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