नयी दिल्ली, - केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने गृह मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह तीन वर्ष पुराने उस आरटीआई आवेदन पर जवाब दें जिसमें भारत में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों की संख्या और उन्हें वापस भेजने में विफल रही एजेंसियों पर की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी गई है। एक आरटीआई आवेदक ने गृह मंत्रालय से तीन बिंदुओं पर सवाल पूछे थे -- भारत में रह रहे अवैध बांग्लादेशी, उन्हें वापस भेजने के जिम्मेदार अधिकारी और अपना काम करने में विफल रहे अधिकारियों पर की गई कार्रवाई। मामला इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) को भेजा गया था जिसने आरटीआई कानून से छूट का हवाला देते हुए सूचना देने से इंकार कर दिया। आयोग में सुनवाई के दौरान आईबी के तहत काम करने वाले आव्रजन ब्यूरो ने कहा कि यह केवल उन प्रवासियों के आंकड़े जुटाती है और उनकी निगरानी करती है जो तय समय से अधिक देश में रूकते हैं। बिना शर्त माफी मांगते हुए ब्यूरो ने कहा कि मामला उससे जुड़ा हुआ नहीं है और इसे वापस मंत्रालय को भेजा जाना चाहिए।
मुख्य सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने बताया कि इसके बाद आयोग ने प्रतिवादी को निर्देश दिया कि वह आवेदन को दो हफ्ते के अंदर गृह मंत्रालय के केंद्रीय जनसूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को भेजे। उन्होंने हाल के आदेश में कहा, ''आयोग गृह मंत्रालय के सीपीआईओ को निर्देश देता है कि आरटीआई आवेदन मिलने के चार हफ्ते के अंदर आवेदक को सही और पूरी सूचना मुहैया कराई जाए।''
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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