राज्यपाल ने स्वामी विवेकानन्द को श्रद्धांजलि अर्पित की
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज स्वामी विवेकानन्द की 117वीं पुण्यतिथि के अवसर पर अपनी एवं प्रदेश की जनता की ओर से उनकी प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। विवेकानन्द पालीक्लीनिक एवं इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साईंस, लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया, रामकृष्ण सेवा मिशन सेवाश्राम के सचिव श्री मुक्तिनाथानन्द व अन्य विशिष्टजन भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने देश व दुनिया में लोगों को नई सोच और नई दिशा दी। उन्होंने देशवासियों में स्वाभिमान व राष्ट्रीय चेतना का संचार किया तथा भारतीय वेदांत दर्शन और अध्यात्म पर सारे विश्व के सामने अपने विचार रखे। वे ऐसे समाज की कल्पना करते थे जिसमें धर्म या जाति के आधार पर कोई भेदभाव न हो। स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो में आयोजित विश्व धर्म परिषद में जो व्याख्यान दिया उससे पूरे विश्व में भारत एवं भारतीयता की एक छवि बनी थी। उनके स्वाभिमान और अभिव्यक्ति के कारण आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था कि 'यदि भारत को जानना चाहते हैं तो स्वामी विवेकानन्द को पढ़िये।'
श्री नाईक ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने ज्ञान और शब्दों के आधार पर सबका सम्मान प्राप्त किया। धार्मिक एवं सांस्कृतिक राजदूत के रूप में जब उन्होंने शिकागो में अपनी बात रखी तो पूरा माहौल बदल गया। 'भाईयों-बहनों' के सम्बोधन से लेकर उन्होंने भारतीय संस्कृति की अवधारणा 'वसुधैव कुटुम्बकम' की बात कहकर भारत को ऐसे देश में नई पहचान दिलाई, जहाँ भारतीय लोगों का सम्मान नहीं होता था। स्वामी विवेकानन्द ने पूरा विश्व एक परिवार है कहकर यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय संस्कृति में सभी धर्मों को समाहित करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि संसद के द्वार पर लिखा यह श्लोक आज भी संसद में प्रवेश करने वालों को प्रेरणा देता है कि बिना भेदभाव के काम करें तथा पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में देखें।
महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने अल्प समय में पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने कहा कि युवा स्वामी विवेकानन्द से प्रेरणा लेकर भारत को विश्व गुरू बनाने की दिशा में कार्य करें।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन स्वामी मुक्तिानाथानन्द ने दिया। उन्होंने कहा कि जगत के कल्याण के लिये स्वामी विवेकानन्द के विचारों को सदैव याद रखें।
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