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राजभवन में स्वामी विवेकानन्द की मूर्ति का अनावरण


उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज राजभवन में स्थापित स्वामी विवेकानन्द की भव्य कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी, चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, सहकारिता मंत्री श्री मुकुट बिहारी वर्मा, नगर विकास मंत्री श्री सुरेश खन्ना, श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री श्री मनोहर लाल मन्नू कोरी, पूर्व मंत्री डाॅ0 अम्मार रिज़वी, लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया, राष्ट्रीय ललित कला अकादमी नई दिल्ली के अध्यक्ष श्री उत्तम पाचारणे, रामकृष्ण मठ के स्वामी मुक्तिनाथानन्द, मुख्य सचिव डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव श्री हेमन्त राव, अपर मुख्य सचिव सूचना श्री अवनीश अवस्थी, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री जितेन्द्र कुमार, निदेशक सूचना एवं संस्कृति विभाग श्री शिशिर सहित अन्य विशिष्ट जन भी उपस्थित थे। मूर्ति का निर्माण श्री उत्तम पाचारणे द्वारा किया गया है। राज्यपाल ने इस अवसर पर घोषणा की कि स्वामी विवेकानन्द की मूर्ति के दर्शन हेतु राजभवन के दरवाजे आम दर्शकों के लिये 17 से 19 जुलाई, 2019 तक सांय 5 बजे से 7 बजे तक खुले रहेंगे। 

राज्यपाल ने प्रतिमा के अनावरण के बाद अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने उनके पांच साल के कार्यकाल का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि, 'मेरा मानना है कि मेरे कार्यकाल में आज का दिन सबसे स्वर्णिम दिवस है। देश के किसी भी राजभवन में स्वामी विवेकानन्द की मूर्ति नहीं है। उत्तर प्रदेश पहला प्रदेश है जहां राजभवन में स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा लगाई गई है। प्रतिमा के साथ राजभवन की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है। कल्पना को साकार करना मुश्किल कार्य है, मुख्यमंत्री ने मेरी सलाह को स्वीकार किया, इसलिये उनका अभिनन्दन करता हूँ। राजभवन में प्रतिमा की स्थापना मेरे लिये सुखद स्मृति है जो सदैव जीवंत रहेगी।'
श्री नाईक ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के विचार 'पावर हाउस' हैं जो नये विचारों की ऊर्जा देता है। स्वामी विवेकानन्द ने 30 वर्ष की अल्पायु में शिकागो के सर्वधर्म सम्मेलन में भारतीय संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा था कि भारतीय संस्कृति में सबको समाहित करने की क्षमता है। स्वामी विवेकानन्द ने यह बात उस समय कही थी जब विकसित देश भारतीयों के प्रति सम्मानजनक दृष्टि नहीं रखते थे। 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के माध्यम से उन्होंने पूरा विश्व एक परिवार है की नई अवधारणा रखी। स्वामी विवेकानन्द का सन्देश महत्व रखता है, उन्होंने कहा था कि उठो, जागो और तब तक मत रूको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये। हमारी युवा पीढ़ी धैर्य, नम्रता, बिना पक्षपात एवं आपसी सौहार्द का संकल्प करें।
राज्यपाल ने मूर्तिकार एवं अध्यक्ष राष्ट्रीय ललित कला अकादमी श्री उत्तम पाचारणे का परिचय देते हुए कहा कि महाराष्ट्र निवासी श्री उत्तम पाचारणे ने स्वामी विवेकानन्द की पहली मूर्ति बोरिवली में बनाई थी। श्री उत्तम पाचारणे के संघर्ष के दिनों की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि मजदूर का बेटा अपनी कला के आधार पर कैसे राष्ट्रीय ललित कला अकादमी का अध्यक्ष बनता है, यह उनके कौशल का परिणाम है। राज्यपाल ने अपनी पुस्तक 'चरैवेति!चरैवेति!!' में श्री पाचारणे के बारे में 'झोपड़ी में मिला शिल्पी' के शीर्षक से उनका विस्तृत परिचय कराया है। उन्होंने इस अवसर पर अपने द्वारा किये गये भावनात्मक कार्य की चर्चा करते हुए बताया कि कैसे लखनऊ स्थित मध्य कमान में परमवीर चक्र विजेताओं के भित्ति चित्र बनवाये, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के अमर उद्घोष की स्मृति में लखनऊ में कार्यक्रम का आयोजन, उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस का आयोजन, इलाहाबाद का प्रयागराज और फैजाबाद का अयोध्या नाम परिवर्तन की सलाह सहित अन्य कार्य किये। 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत की हजारों वर्ष प्राचीन संस्कृति को विश्व में स्थापित करने वाले स्वामी विवेकानन्द को वे नमन करते हैं। उनके नाम से नई स्फूर्ति और नई उमंग का प्रस्फुट्टन होता है। भारतीय एवं वैदिक परम्परा पर तेजस्वी और ओजस्वी भाव से शिकागो के धर्म सम्मेलन में जब स्वामी विवेकानन्द ने अपनी बात रखी तो भारत के बारे में दुनिया की धारणा बदली। पूरा विश्व उन्हें प्राचीन धरोहर के संरक्षक के रूप में देखता है। स्वामी विवेकानन्द का संदेश शाश्वत और चिरस्थाई है। उन्होंने कहा कि राजभवन लखनऊ के नाम से अनेक स्मृतियां हैं, पर जितनी रचनात्मकता का केन्द्र पिछले पांच साल में देखा गया है उसी की एक कड़ी है स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा की स्थापना। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजभवन व्यवस्था का मार्गदर्शक होता है। आमतौर से लोक कल्याणकारी योजना या आम जनमानस से राजभवन का सीधा सरोकार नहीं होता। वे अलग-अलग राज्यों के राजभवन भी गये हैं। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल श्री राम नाईक की सराहना करते हुए कहा कि राज्यपाल रहते हुए उन्होंने राजभवन में नई परम्परा रखी। हर पीड़ित व्यक्ति राजभवन आ सकता है। पांच वर्षों में तीस हजार से अधिक लोगों से राजभवन में उन्होंने सीधे संवाद किया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की प्रेरणा से 'उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस' की शुरूआत हुई, जिसके आधार पर सरकार ने 'एक जिला एक उत्पाद' योजना शुरू की। इस योजना ने प्रदेश के हर जिले के परम्परागत उत्पाद को नई पहचान दी है। 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्यपाल की सलाह एवं प्रेरणा से कुष्ठ पीड़ितों को पेंशन और आवास की सुविधा दी गई है। कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल की बड़ी भूमिका होती है। श्री नाईक ने व्यक्तिगत दिलचस्पी लेकर उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार किये। कई प्रदेश उच्च शिक्षा में पीछे हैं जबकि पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदली है। चिर युवा नेता की तरह उम्र की बाधा तोड़कर राज्यपाल ने हर तबके को नई पहचान दी। छोटे को सम्मान देकर बड़ा बनाना श्री नाईक की महानता है। लक्ष्य की प्राप्ति तक निरन्तर चलते रहने की सलाह देने वाले स्वामी विवेकानन्द तथा 'चरैवेति!चरैवेति!!' दोनों रचनात्मकता की प्रेरणा देते हैं।
संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश का राजभवन अपने आप में एक इतिहास है। इस इतिहास में स्वामी विवेकानन्द की मूर्ति भी ऐतिहासिक है। संस्कृति मंत्री ने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह व पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया तथा राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने मूर्तिकार श्री उत्तम पाचारणे को सम्मानित किया। 
कार्यक्रम में मुख्य सचिव डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


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