लखनऊः भारत सरकार द्वारा सृजित फिशरीज एण्ड एक्वा कल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट फण्ड के तहत मत्स्य व्यवसाय से संबधित आवश्यक अवस्थापनाओं एवं निर्माण जैसे कार्यों के लिए इच्छुक व्यक्तियों संस्थाओं से ऋण प्रस्ताव संबधी पूर्ण विवरण और अभिलेखों सहित आगामी 30 सितम्बर तक आवेदन पत्र मांगे गये है। यह आवेदन पत्र निर्धारित तिथि तक संबंधित जनपदीय/मण्डलीय मत्स्य कार्यालयों को उपलबध कराये जा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय स्तर पर सुनियोजित मत्स्य विकास हेतु 7522.48 करोड़ रूपये की फण्ड व्यवस्था करते हुए फिशरीज एण्ड एक्वाकल्चर इन्फास्ट्रक्चर डेवलपमेन्ट फण्ड (थ्प्क्थ्) की स्थापना की गयी है। इस योजना के अन्तर्गत अनुदानित ब्याज पर ऋण लेकर वृहद स्तर पर मत्स्य व्यवसाय से सबंधित विभिन्न आवश्यक अवस्थापना विकास एवं निर्माण तथा अनुसांगिक सुविधाओं का सृजन कराया जा सकता है।
यह जानकारी आज यहां मत्स्य विभाग के निदेशक श्री एस0के0 सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के अन्तर्गत लाभार्थी अंश 20 प्रतिशत तथा शेष 80 प्रतिशत ऋण के रूप में शासकीय संस्था/ ऋणदाता बैंक का अंशदान सम्मिलित है। ब्याज उत्पादन पर 3 प्रतिशत की वार्षिक छूट रहेगी किन्तु ऋण पर ब्याज की वार्षिक गणना 5 प्रतिशत से कम नहीं होगी। साथ ही 0.6 प्रतिशत का प्रभार्य शुल्क एण्ड मैनेजमेन्ट एवं रिस्क कवरेज आदि के लिए प्रभावी रहेगा। बैंक ऋण की अदायगी अवधि ऋण प्रारम्भ के 12 वर्ष तक है, जिसमें प्रथम 02 वर्ष हेतु ब्याज स्थगम अवधि है।
श्री एस0के0 सिंह ने यह भी बताया कि ऋण की सुविधा सीमान्त कृषकों, मत्स्य जीवी सहकारी समितियांे, पंचायती राज संस्थाओं, प्राइवेट कम्पनी/उद्यमी, अनुसूचित जाति/जनजाति महिला एवं उद्यमी सहायता समूह, फामर्स एण्ड प्रोड्यूसर आर्गनाइजेशन स्वयं सहायता समूहों एवं एन0जी0ओ0 आदि को देय है। भूमि एवं तालाब क्रय के लिये यह सुविधा अनुमनय नहीं है, किन्तु न्यूनतम 10 वर्ष अथवा उससे अधिक अवधि के पट्टे की भूमि पर यह ऋण अनुमन्य है। विस्तृत जानकारी हेतु इच्छुक व्यक्ति विभागीय वेबसाइटः-ीजचचेरूध्ध्पिेीमतपमे
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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