बेंगलुरू, - कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने रविवार को 14 और बागी विधायकों को दलबदल रोधी कानून के तहत अयोग्य करार दिया। इस कार्रवाई से विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी संख्या घट कर 104 रह गई है और इससे हाल में बनी भाजपा सरकार के लिए सोमवार को विश्वासमत हासिल करना आसान हो गया है।
विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) ने यह कार्रवाई कांग्रेस के 11 और जद(एस) के तीन विधायकों के खिलाफ की है। इससे पहले तीन विधायकों को अयोग्य ठहराया गया था। इससे अब बहुमत हासिल करने के लिए जरूरी संख्या घट कर 104 रह गई है, जो भाजपा के मौजूदा 105 विधायकों से एक कम है। भाजपा को एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन हासिल है।
मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना है और उन्होंने यकीन के साथ कहा, ''सोमवार को मैं सौ फीसदी बहुमत साबित कर दूंगा।''
कुमार ने विश्वास मत की पूर्व संध्या पर अपने फैसले की घोषणा जल्दबाजी में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में की। उनका यह फैसला येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के दो दिन बाद आया है। हालांकि, बागी विधायकों ने कहा कि वे स्पीकर के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे।
विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों द्वारा दिये गए इस्तीफों को खारिज कर दिया और संबद्ध पार्टियों द्वारा दी गई अर्जियों को स्वीकार करते हुए विधायकों को अयोग्य करार दिया।
17 बागी विधायकों को वर्तमान विधानसभा के 2023 में कार्यकाल समाप्त होने तक सदन की सदस्यता से अयोग्य करार दिये जाने से 224 सदस्यीय विधानसभा (स्पीकर को छोड़कर, जिन्हें मत बराबर होने की स्थिति में मतदान का अधिकार है) में प्रभावी संख्या 207 हो गई है। बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 104 होगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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