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सदगुणों से युक्त हृदय नारायण दीक्षित जी एक उच्चकोटि के साहित्यकार और राजनेता हैं - राज्यपाल श्री नाईक



राज्यपाल श्री नाईक ने कहा कि श्री हृदय नारायण दीक्षित जी और ऊंचाई पर जायें। मेरा उनसे पूर्व से परिचय रहा है। मुंबई के समाचार पत्र 'सामना' में उनके लेख निरन्तर पढ़ता था। उनके लेख बहुत सहज एवं रोचक होते हैं। श्री दीक्षित जी द्वारा अनेक पुस्तकों की रचना की गयी है। कुछ दिनों पूर्व लखनऊ में उनकी दो पुस्तकों का विमोचन किया है। सदगुणों से युक्त श्री दीक्षित जी एक उच्चकोटि के साहित्यकार और राजनेता हैं तथा विधान सभा का सफल संचालन करने की विशेषता उनमें है। विधान मण्डल के संयुक्त सदन के सम्बोधन के समय उनकी उपस्थिति में पूरा भाषण पढ़ा है। श्री दीक्षित जी वास्तव में 'प्रज्ञा पुरूष' हैं जिनका व्यक्तित्व अनुकरणीय है। कुमार सभा को ऐसे व्यक्तित्व का सम्मान करने के लिये साधुवाद देता हूँ।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक आज उक्त विचार श्री बड़ाबाजार कुमार सभा पुस्तकालय, कोलकाता द्वारा कला मंदिर प्रेक्षागृह कोलकाता में आयोजित 'डाॅ0 हेडगेवार प्रज्ञा-सम्मान' समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त कर रहे थे। सम्मान समारोह में उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित को 'डाॅ0 हेडगेवार प्रज्ञा-सम्मान' स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्र तथा रूपये एक लाख की धनराशि का चेक देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केसरी नाथ त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि श्री लक्ष्मी नारायण भाला, आयोजक एवं अध्यक्ष श्री बड़ाबाजार कुमार सभा पुस्तकालय श्री प्रेम शंकर सहित बड़ी संख्या में विशिष्टजन भी उपस्थित थे। राज्यपाल श्री नाईक ने श्री बड़ाबाजार कुमार सभा पुस्तकालय को अपनी पुस्तक 'चरैवेति!चरैवेति!!' की हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी, उर्दू, सिंधी एवं गुजराती की प्रति भेंट की तथा चरैवेति को सफलता का मूल मंत्र बताया।
श्री नाईक ने कहा कि कोलकाता डा0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी की कर्मस्थली रही है। मैं उनकी पुण्य तिथि के पूर्व संध्या पर आज उन्हें नमन करता हूँ तथा श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। राज्यपाल श्री नाईक ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि उन्हें कुमार सभा कोलकाता द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में आने तथा अच्छे वक्ताओं को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। यह सम्मान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डाॅ0 हेडगेवार के नाम पर दिया जाता है। उनकी स्मृति, विलक्षण प्रतिभा, संगठन शक्ति और एकता के मंत्र को प्रणाम करता हूँ। डाॅ0 हेडगेवार के विचार आज साकार हो रहे हैं। वे एक महामानव थे जिनके द्वारा रोपा गया पौधा आज वट वृक्ष बन गया है। उन्होंने कहा कि डाॅ0 हेडगेवार हम सबके लिये प्रेरणा पुंज हैं। 
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केसरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि श्री बड़ाबाजार कुमार सभा पुस्तकालय का यह शताब्दी वर्ष है जो किसी भी संस्था के लिये गौरव की बात है। डाॅ0 हेडगेवार के नाम पर 30 वर्षों से यह सम्मान दिया जा रहा है और श्री हृदय नारायण दीक्षित जी को आज यह 'प्रज्ञा सम्मान' मिला है। श्री दीक्षित को अनेक भूमिकाओं में देखा है। वे राजनैतिक और सामाजिक क्षेत्र में रहते हुये साहित्य का सृजन करते रहे हैं। उन्होंने अपने लेखन से बहुत बड़ा साहित्य कोष तैयार किया है। राज्यपाल श्री केसरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि डाॅ0 हेडगेवार ने भारतीय संस्कृति के लिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी और भारतीयता उनका मूल मंत्र था। पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय विष्णुकान्त शास्त्री का स्मरण करते हुये उन्होंने कहा कि वे भी संस्था से जुड़े रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की विशिष्टता बनाये रखने के लिये सभी देशवासियों को प्रयास करना चाहिये।
उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि जीवन में जनता एवं समाज के साथ काम किया है, जिसके लिये आज यह सम्मान प्राप्त हो रहा है। डाॅ0 हेडगेवार के नाम से जुड़ा सम्मान मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि आज ऐसे दो राज्यपालों से सम्मान प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ जिन्होंने जनता के लिये काम किया है। श्री दीक्षित ने कहा कि दुनिया का प्राचीनतम ज्ञान का ज्ञानकोष है ऋगवेद। डाॅ0 हेडगेवार ने 'संगठन विज्ञान' का आविष्कार किया तथा सेवा भाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डाॅ0 हेडगेवार का सपना सबको एक सूत्र में पिरोना था।
इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री लक्ष्मी नारायण भाला ने डाॅ0 हेडगेवार के जीवन के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन अध्यक्ष श्री प्रेमशंकर द्वारा तथा धन्यवाद ज्ञापन महामंत्री श्री महावीर द्वारा किया गया।


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