राज्यपाल ने छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की
लखनऊः - उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज छत्रपति शाहूजी महाराज जयंती के अवसर पर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में छत्रपति शाहूजी महाराज स्मृति मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ द्वीप प्रज्जवलित करके किया। कार्यक्रम में प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य, किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एम0एल0बी0 भट्ट, संस्था के अध्यक्ष श्री रामचन्द्र पटेल, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो0 एस0एन0 शंखवार, पद्मश्री प्रो0 एस0एन0 कुरील सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।
राज्यपाल ने छत्रपति शाहूजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि पूर्व में उत्तर प्रदेश में छत्रपति शाहूजी महाराज का जन्म दिवस 26 जुलाई को मनाया जाता था जबकि महाराष्ट्र में 26 जून को मनाया जाता है। छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती के संबंध में मतभेदों के चलते महाराष्ट्र सरकार ने विशेषज्ञों की एक समिति बनाई थी जिसने शोध के बाद स्पष्ट किया था कि 26 जून को ही छत्रपति शाहूजी महाराज की प्रमाणिक जन्मतिथि है। इस संबंध में उन्होंने एक पत्र महाराष्ट्र सरकार को भेजकर प्रमाणिक तिथि बताने का अनुरोध किया था। जिस पर महाराष्ट्र सरकार ने ऐतिहासिक रूप से प्रमाणिक तिथि 26 जून को ही छत्रपति शाहूजी महाराज का जन्म दिवस होने की पुष्टि की। तब से उत्तर प्रदेश में भी 26 जून को ही छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती मनायी जा रही है। उन्होंने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज के दिखाये मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।
श्री नाईक ने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज कोल्हापुर से संबंधित हैं जहाँ का मैं भी निवासी हूँ। छत्रपति शाहूजी महाराज ने शिक्षा, महिला उत्थान तथा शिक्षा के प्रकाश को घर-घर पहुँचाने के लिए राज्य के खजाने खोल दिये थे। शाहूजी महाराज पहले राजा थे जिन्होंने 1902 में सामाजिक समरसता एवं बराबरी देने के लिए आरक्षण की घोषणा की थी जिसके फलस्वरूप कोल्हापुर ने सर्वाधिक शिक्षित क्षेत्र के रूप में पहचान बनाई थी। छत्रपति शाहूजी ने डाॅ0 आंबेडकर की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें विदेश में शिक्षा ग्रहण करने में सहयोग किया। डाॅ0 आंबेडकर ने स्वतंत्रता के पश्चात् संविधान का निर्माण किया। छत्रपति शाहूजी महाराज द्वारा किये गये कार्यों के दृष्टिगत 100 वर्ष पूर्व 1919 में कानपुर में कुर्मी समाज का महाधिवेशन मेें उन्हें 'राजर्षि' की उपाधि प्रदान की गयी थी। राज्यपाल ने कहा कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश का संबंध काफी पुराना है। प्रभु राम का जन्म अयोध्या में हुआ था पर वनवास के समय वे नासिक में रहे। हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना करने वाले शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक काशी के विद्धान गागा भट्ट ने किया था। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को अंग्रेजों ने बगावत कहा था परन्तु स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने इसे प्रथम स्वतंत्रता समर बताया।
राज्यपाल ने अपने कार्यकाल की चर्चा करते हुए कहा कि वर्ष 2014 में उन्होंने राज्यपाल पद की शपथ ली थी तब राजभवन के दरवाजे सभी लोगों के लिये खुले होने की बात कही थी। राज्यपाल ने बताया कि अब तक वे 32 हजार लोगों से समय देकर मुलाकात कर चुके हैं। राज्यपाल के रूप में किये गये कार्यों से उन्हें बहुत समाधान है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के 1916 में लखनऊ कांग्रेस के अधिवेशन दिये अजर-अमर उद्घोष 'स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' के 101 वर्ष पूर्ण होने पर उनके सुझाव पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अनुबंध हुआ। सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अनुबंध के तहत उत्तर प्रदेश में गीत रामायण के वाराणसी, आगरा, मेरठ एवं लखनऊ में आयोजन हुए। राज्यपाल ने कहा कि कुलाधिपति के रूप में उन्हें यह बताते हुये प्रसन्नता है कि सभी विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोह समय से सम्पन्न हो रहे हैं। राज्यपाल ने बताया कि शैक्षिक सत्र 2017-18 में हुये दीक्षान्त समारोह में 15.60 लाख छात्र-छात्राओं को उपाधियाँ प्रदान की गई हैं जिसमें 51 प्रतिशत छात्राएं थी परन्तु परन्तु नकल रोकने हेतु की गयी सख्ती के कारण शैक्षिक सत्र 2018-19 में 12.79 लाख विद्यार्थी ही परीक्षा में सम्मिलित हुये तथा छात्राओं का प्रतिशत 56 हो गया था। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश आगे बढ़ रहा है।
इस अवसर पर श्रम एवं सेवायोजन मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य, संस्था के अध्यक्ष श्री रामचन्द्र पटेल सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे। राज्यपाल ने कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया। राज्यपाल ने संस्था द्वारा लाईबे्ररी स्थापित करने पर उनके पास छत्रपति शाहूजी से संबंधित ग्रंथ एवं पुस्तकों को दान देने की बात भी कही।
टिप्पणियाँ