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उपराष्ट्रपति ने श्री वेदांत देशिक की 750वीं जयंती के अवसर पर डाक टिकट जारी किए


उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने नई दिल्ली में श्री वेदांत देशिक की 750वीं जयंती के अवसर पर उनकी स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया। उन्होंने कहा कि हमारी पाठ्यपुस्तकों को महान संतों तथा आध्यात्मिक विभूतियों के जीवन पर प्रकाश डालना चाहिए ताकि हमारे बच्चे मानवता, शांति और सद्भाव के आदर्शों को आत्मसात कर सकें।


श्री वेदांत देशिक श्रीवैष्णव परंपरा के सबसे प्रभावशाली संतों में से एक थे। उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी करना उनके योगदान के प्रति एक श्रद्धांजलि है। इससे हमारी युवा पीढ़ी को उनके द्वारा बताए गए रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिलेगी।


उपराष्ट्रपति ने श्री वेदांत देशिक को उच्च कोटि का विद्वान बताते हुए कहा कि उन्होंने संस्कृत, तमिल, प्राकृत और मणिप्रवलम भाषाओं में कविता, गद्य, नाटक, टिप्पणी, विज्ञान संबंधी लेख और दर्शन के सिद्धांतों की रचना की थी।


श्री नायडू ने कहा कि श्री वेदांत देशिक केवल आध्यात्मिक गुरु ही नहीं बल्कि वे एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ, साहित्यकार, भाषाविद, सैन्य रणनीतिज्ञ भी थे।


उपराष्ट्रपति ने श्री वेदांत देशिक के दर्शन के बारे में कहा कि समावेश की भावना इसकी प्रमुख विशेषता है। किसी भी जाति और नस्ल का व्यक्ति वैष्णव संप्रदाय में शामिल हो सकता है। यह वास्तव में लोकतांत्रिक आंदोलन है जिसमें जाति विभेद को समाप्त किया।


श्री नायडू ने कहा कि श्री वेदांत देशिक मणिपादुका इंद्रप्रस्थ ट्रस्ट जैसे संगठन उनके संदेशों को युवाओं तक पहुंचाते रहेंगे। इस अवसर पर भारत के पूर्व महाधिवक्ता श्री मोहन पाराशरण, डाकविभाग के अपर महानिदेशक श्री विश्वपवन पति, दिल्ली तमिल संगम के महासचिव श्री आर. मुकुंदन, श्री वेदांत देशिक मणिपादुका इंद्रप्रस्थ ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी श्री आर श्रीरमन भी उपस्थित थे।


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