नयी दिल्ली, -टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में बरी स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा और तीन अन्य ने दिल्ली उच्च न्यायालय को जानकारी दी है कि उन्होंने अदालत के पिछले निर्देश के अनुसार पांच-पांच सौ पौधे लगाए हैं।
दरअसल, केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने टूजी मामले में इन लोगों को बरी किये जाने को चुनौती दी है।
अदालत ने फरवरी में स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड (एसटीपीएल) के प्रमोटर बलवा, पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के तत्कालीन निजी सचिव आर के चंदोलिया, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजीटेबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आसिफ बलवा तथा राजीव अग्रवाल को पांच-पांच सौ पौधे लगाने का निर्देश दिया था।
अदालत ने यह सजा उन्हें बरी किये जाने के खिलाफ सीबीआई की अपील पर अपना जवाब देने के लिए और समय मांगने पर दी थी।
वन उपसंरक्षक (डीसीएफ) के वकील ने इस संबंध में हलफनामा सौंपने के लिए समय मांगा कि अदालत के पिछले आदेश का पूरी तरह से पालन किया गया या नहीं।
न्यायमूर्ति ए के चावला ने कहा कि डीसीएफ दो सप्ताह में हलफनामा दायर करें। इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 24 अक्टूबर है।
अधिवक्ताओं विजय अग्रवाल, मुदित जैन और दीपांशु चौथानी के जरिये दायर अलग-अलग आवेदनों में चारों लोगों ने कहा कि उन्होंने अदालत के पिछले आदेश का पालन करते हुए पांच-पांच सौ पौधे लगाए हैं।
गौरतलब है कि एक विशेष अदालत ने 21 दिसंबर 2017 को सीबीआई और ईडी के मामलों में राजा, कनिमोई और अन्य को बरी किया था। अदालत ने ईडी मामले में 17 अन्य लोगों को भी बरी किया था।
इसी दिन, निचली अदालत ने राजा, कनिमोई तथा 15 अन्य को सीबीआई के टूजी मामले में बरी किया था।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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