लखनऊ, -) नागरिकता के मुददे पर गृह मंत्रालय द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को नोटिस जारी किये जाने के कुछ ही घंटे बाद केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसका 'टाइमिंग' से कोई लेना देना नहीं है ।
राजनाथ ने इस बाबत सवाल पूछ जाने पर कहा कि यह कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं है । यह सामान्य प्रक्रिया है ।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, 'अगर कोई संसद सदस्य संसद में सवाल उठाता है तो उसका जवाब देना आवश्यक हो जाता है । अगर कोई सांसद मंत्रालय को पत्र भेजता है तो मंत्रालय की ओर से आवश्यक कार्यवाही की जाती है । यह कोई बडा घटनाक्रम नहीं है । यह सामान्य प्रक्रिया है।'
लोकसभा चुनाव के चलते नोटिस के 'टाइमिंग' को लेकर किये गये सवाल पर राजनाथ ने 'ना' में जवाब दिया ।
वह बोले, 'नहीं नहीं ... यह सवाल संसद में भी उठा था । एक संसद सदस्य :सुब्रहमण्यन स्वामी: ने मंत्रालय को कई बार पत्र लिखा, जिसके बाद कार्रवाई की गयी ।'
राहुल अमेठी से लोकसभा चुनाव लड रहे हैं । यहां छह मई को मतदान होना है ।
अमेठी में एक निर्दलीय उम्मीदवार भी राहुल की नागरिकता को लेकर सवाल उठा चुके हैं लेकिन निर्वाचन अधिकारी ने राहुल के नामांकन पत्र को वैध करार दिया ।
कांग्रेस अध्यक्ष की नागरिकता के मामले में मिली शिकायत के आधार पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें नोटिस जारी कर एक पखवाड़े के भीतर इसपर उनका 'तथ्यात्मक रूख' पूछा है ।
गृह मंत्रालय ने एक पत्र में कहा कि उसे भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से अर्जी मिली है । उसमें कहा गया है कि राहुल गांधी ब्रिटेन में 2003 में पंजीकृत कंपनी बैकऑप्स लिमिटेड के निदेशकों में शामिल थे ।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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