नयी दिल्ली, -) फॉरेंसिक आडिटरों ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि संकटग्रस्त आम्रपाली समूह ने विभिन्न न्यायिक मंचों पर उसका प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को शुल्क के रूप के फ्लैट और पेंटहाउस दिए।
आडिटरों ने कहा कि आम्रपाली समूह के वकीलों द्वारा शुल्क के रूप में कोई 'सामान' लेना कानून का उल्लंघन है।
पीठ ने कहा कि अधिवक्ता कानून के तहत ऐसा करना प्रतिबंधित है और कोई भी वकील शुल्क के रूप में फ्लैट या कोई सामान नहीं ले सकता।
घर के खरीदारों की कई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने जोतिंद्र स्टील एंड ट्यूब्स के सभी निदेशकों को अगले तीन दिन के दौरान फॉरेंसिक आडिटर के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया। जोतिन्द्र स्टील आम्रपाली समूह का आपूर्तिकर्ता है।
फॉरेंसिक आडिट में यह तथ्य भी सामने आया है कि जोतिन्द्र स्टील एंड ट्यूब्स के एक प्रबंध निदेशक अखिल सुरेखा आम्रपाली समूह की कंपनियों में निदेशक थे। जोतिन्द्र स्टील एंड ट्यूब्स सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी है।
अदालत की ओर से नियुक्त फॉरेंसिक आडिटरों ने सुरेखा द्वारा 400 करोड़ रुपये इधर उधर किए जाने को पकड़ा है। सुरेखा 2016 से बैंकों में आम्रपाली की ओर से अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थे।
फॉरेंसिक आडिटरों पवन अग्रवाल और रवि भाटिया ने पीठ से कहा कि आम्रपाली की ओर से उपस्थित कुछ वकीलों ने अपने मुवक्किल से अधिवक्ता कानून का उल्लंघन करते हुए फ्लैट और पेंटहाउस शुल्क के रूप में लिए।
अग्रवाल ने खचाखच भरी अदालत में कहा, ''मैं इन अधिवक्ताओं से आग्रह करता हूं कि वे उन्हें मिली संपत्ति को जल्द से जल्द लौटाएं।''
सुरेखा की ओर उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने पीठ से कहा कि आम्रपाली ने उन्हें चूना लगाया है। आम्रपाली को परियोजनओं के लिए आपूर्ति की गई निर्माण सामग्री का 112 करोड़ रुपये का बकाया है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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