न्यायालय ने एनएसईएल, एफटीआईएल के विलय के केंद्र के आदेश को खारिज किया
नयी दिल्ली, - उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र के नेशनल स्पाट एक्सचेंज लि. (एनएसईएल) का फाइनेंशियल टेक्नोलाजीज इंडिया लि. (एफटीआईएल) में विलय के निर्णय को खारिज कर दिया। एफटीआईएल को अब 63 मून टेक्नोलाजीज लि. के नाम से जाना जाता है।
न्यायाधीश आर एफ नरीमन और न्यायाधीश विनीत सरन की पीठ ने 63 मून टेक्नोलाजीज की याचिकाओं पर फैसला सुनाया। याचिकाओं में बंबई उच्च न्यायालय के दिसंबर 2017 के उस आदेश को चुनौती दी गयी थी जिसमें केंद्र के एनएसईएल तथा एफटीआईएल के विलय के आदेश को बरकरार रखा गया था।
एनएसईएल जिग्नेश शाह द्वारा प्रवर्तित एफटीआईएल की अनुषंगी है। उसमें एफटीआईएल की हिस्सेदारी 99.99 प्रतिशत थी।
एनएसईएल ने 31 जुलाई 2013 को करीब 13,000 निवेशकों के कुल करीब 5,600 करोड़ रुपये के भुगतान में चूक कर दी थी।
इस संकट के बाद कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने एनएसईएल को कंपनी काननू की धारा 396 के तहत एफटीआईएल में मिलाने का निणर्य किया था। लेकिन उच्चतम न्यालय ने कहा कि यह निर्णय ' लोकहित की कसौटी' को पूरा नहीं करता और यह कानून के समक्ष बराबरी के के सिद्धांत के खिलाफ है।
केंद्र ने फरवरी 2016 में कंपनी कानून के प्रावधानों के संदर्भ में दोनों कंपनियों के विलय का आदेश दिया था। आदेश के तहत एनएसईएल की सभी संपत्ति तथा देनदारियां एफटीआईएल की संपत्ति और देनदारी बना दी गयी थीं।
सरकार के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी थी। उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2017 में याचिका को खारिज कर दिया।
अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र का फरवरी 2016 का आदेश कंपनी कानून की धारा 396 के दायरे से बाहर है और संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) का उल्लंघन है।
पीठ ने कहा, ''इसके अनुसार अपील की अनुमति दी जाती है और बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज किया जाता है।
न्यायालय ने कहा कि एनएसईएल तथा एफटीआईएल का विलय 'जन हित' के मानदंड को संतुष्ट नहीं करता।
शीर्ष अदालत के फैसले के बाद 63 मून्स टेक्नोलोजीज के मानद चेयरमैन जिग्नेश शाह ने एक बयान में कहा, ''हमारा हमेशा से भारतीय न्यायपालिका तथा अदालतों पर भरोसा रहा है। अंतत: सचाई की जीत हुई।''
भुगतान चूक के कारण एनएसईएल 2013 में बंद हो गयी। एफटीआईएल की 99.9 प्रतिशत अनुषंगी कंपनी ने 31 जुलाई 2013 को अपने 13,000 निवेशकों को करीब 5,600 करोड़ रुपये के भुगतान में चूक की।
संकट के बाद कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने कंपनी कानून की धारा 396 के तहत एनएसईएल का एफटीआईएल में विलय के लिये अंतिम आदेश जारी करने का निर्णय किया।
मंत्रालय ने घोटाले में फंसी एनएसईएल का एफटीआईएल में विलय को लेकर फरवरी 2016 में अंतिम आदेश जारी किया।
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