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नक्सलियों का निशाना बने पुलिसकर्मियों ने शायद मानक संचालन प्रक्रिया का पालन नहीं किया: अधिकारी


गढ़चिरौली, -(भाषा) एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में नक्सली हमले की शिकार बनी पुलिस टीम ने अपनी आवाजाही की योजना बनाते समय मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को नजरअंदाज किया।

बुधवार को नक्सलियों ने बम धमाका कर पुलिस की गाड़ी उड़ा दी थी। इस हमले में 15 पुलिसकर्मी शहीद हो गये और एक अन्य व्यक्ति की भी जान चली गयी।

नक्सली हमले के अगले दिन शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि के तौर पर और पुलिसकर्मियों के परिजनों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए जिले में बृहस्पतिवार को सारे बड़े बाजार बंद रहे।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने गढ़चिरौली में बृहस्पतिवार को कहा कि पुलिस महानिदेशक स्वयं ही पूरे मामले की जांच कर रहे हैं और वह यह देखेंगे कि कहीं कोई चूक तो नहीं हुई जिसकी वजह से यह त्रासदपूर्ण घटना हुई।

अधिकारी ने बताया कि गढ़चिरौली जिले की त्वरित कार्रवाई टीम को सीआरपीएफ कर्मियों को चुनाव ड्यूटी के लिए पुरादा से बाहर स्थानांतरित किये जाने के बाद उनके स्थान पर तैनाती के लिए कुरखेड़ा से बुलाया गया था। 

अधिकारी ने कहा कि गढ़चिरौली के पुरादा थानाक्षेत्र में माओवादी गतिविधियां पिछले कुछ दिनों के दौरान बढ़ गयी हैं।

उन्होंने कहा कि जहां हमला हुआ, वहां सीआरपीएफ कर्मियों की तैनाती से बेहतर गश्ती सुनिश्चित की जा सकती थी। दरअसल माओवादियों को त्वरित कार्रवाई टीम के आने की सूचना पहले ही मिल गयी थी। ऐसे में उन्होंने सड़क के नीचे आईईडी लगा दिये और पुलिसकर्मियों को लेकर जा रहे निजी वाहन को निशाना बनाया।

उन्होंने कहा कि बुधवार तड़के पुरादा थानाक्षेत्र के दादापुर में माओवादियों ने 27 वाहनों में आग लगा दी थी। नक्सलियों को पता था कि इस आगजनी के बाद पुलिस टीम पुरादा भेजी ही जाएगी।

अधिकारी ने कहा कि ऐसा जान पड़ता है कि पुलिस टीम ने मानक संचालन प्रक्रिया का पालन नहीं किया। दरअसल ऐसी स्थिति में पुलिसकर्मियों को निजी वाहन का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए और पैदल जाना चाहिए।

अधिकारी ने कहा कि पुलिस टीम को खतरा भांप लेना चाहिए था और उन्हें घटनास्थल पर पहुंचने की हड़बड़ी में निजी वाहन नहीं लेना चाहिए था।

इस बीच, गढ़चिरौली के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देने के बाद फड़णवीस ने संवाददाताओं से कहा कि पुलिस महानिदेशक स्वयं ही घटना की जांच कर रहे हैं और वह यह देखेंगे कि कहीं कोई चूक तो नहीं हुई ।

उन्होंने कहा कि पिछले दो तीन साल से माओवादी गढ़चिरौली पुलिस के सतत अभियान का सामना कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ''नक्सली पिछले दो-तीन सालों में गढ़चिरौली पुलिस द्वारा की गयी भारी कार्रवाई का बदला ले रहे हैं।'' 

उन्होंने कहा, ''मुझे पूरा विश्वास है कि इन जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी.... और उचित कार्रवाई की जाएगी। मैं फिलहाल इस संबंध में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता। '' 

पुलिस महानिदेशक सुबोध कुमार जायसवाल ने बुधवार को कहा कि नक्सली हमला खुफिया विफलता का परिणाम नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस नक्सलियों को करारा जवाब देगी।

इसी बीच, जिले के कई स्थानों पर नक्सलियों के बैनर मिले हैं जिनमें ठेकेदारों को क्षेत्र में सड़क और पुल बनाने के विरूद्ध चेतावनी दी गई है।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि माओवादियों की उत्तरी गढ़चिरौली संभागीय समिति ने क्षेत्र में कई स्थानों पर बैनर लगाए हैं।

अधिकारी ने बताया, '' बैनर में कहा गया है कि विकास का काम स्थानीय लोगों के लिए नहीं है बल्कि कुछ अमीर लोगों के फायदे के लिए हो रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र में सड़क और पुल बनाने का काम रोकने के लिए ठेकेदारों को चेतावनी दी है।'' 

अधिकारी ने बताया कि कुछ बैनरों में नक्सलियों ने लोगों से 'नया भारत के नाम पर हिंदू राष्ट्र बनाने के सपने को बर्बाद करने' की अपील की है।

उन्होंने बताया कि पुलिस ने इन सारे बैनरों को क्षेत्र से हटा दिए हैं।

इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि नक्सली हमला भाजपा नीत सरकार की विफलता है।

बृहस्पतिवार को गढ़चिरौली की यात्रा करने पर मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हमले के बाद वहां जाने का क्या फायदा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने आश्चर्य से कहा कि फड़णवीस सरकार ने इस घातक हमले को रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठाये। 


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