जाट बहुल सोनीपत सीट पर आरक्षण आंदोलन की छाया


सोनीपत - हरियाणा के सोनीपत संसदीय क्षेत्र के लिए मतदान का दिन जैसे जैसे समीप आ रहा है वैसे वैसे ही साल 2016 में हुये हिंसक आरक्षण आंदोलन की प्रतिछाया इस पर गहराती जा रही है। इसकी आहट सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच छिड़े वाकयुद्ध में महसूस की जा सकती है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस जिले में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में आयोजित एक चुनावी सभा में आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता के समर्थक फरवरी 2016 में आंदोलन के समय ''हरियाणा को जलाने'' में संलग्न थे।

कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने फौरन इसका प्रतिवाद करते हुये कहा, ''उस समय हरियाणा तीन बार जला किंतु वे इसे अपनी असफलता नहीं स्वीकार करेंगे।'' वह जाट आरक्षण आंदोलन तथा स्वयंभू बाबा रामपाल और राम रहीम सिंह के मामलों का उल्लेख कर रहे थे।

हुड्डा का मुकाबला भाजपा के वर्तमान सांसद रमेश चंद्र कौशिक, जननायक जनता पार्टी के दिग्विजय चौटाला और इनेलो के सुरेंद्र चिक्कारा से है। हालांकि यहां कुल प्रत्याशियों की संख्या 29 है।

कौशिक के अतिरिक्त तीनों बड़े उम्मीदवार जाट समुदाय से हैं। इस संसदीय क्षेत्र को जाट समुदाय के अधिपत्य वाले स्थान के रूप में देखा जाता है तथापि 2014 और 1996 में हुये चुनावों में विजयश्री गैर जाट प्रत्याशी के हाथ लगी।

खट्टर का दावा है कि हरियाणा में ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश में मोदी की लहर है। इसके प्रत्युत्तर में हुड्डा ने कहा है कि अगर उनका दावा असत्य सिद्ध हुआ तो क्या खट्टर पद से त्यागपत्र देंगे? 


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