ईवीएम के साथ वीवीपैट पर्चियों का मिलान: न्यायालय में 21 विपक्षी नेताओं की पुनर्विचार याचिका खारिज नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा चुनाव में प्रति विधानसभा क्षेत्र एक की बजाय पांच मतदान केन्द्रों में ईवीएम के साथ वीवीपैट पर्चियों का औचक मिलान करने के निर्वाचन आयोग को दिये गये आदेश पर पुनर्विचार के लिये विपक्षी दलों के 21 नेताओं की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। विभिन्न दलों के विपक्षी नेता चाहते थे कि पांच केन्द्रों की बजाय इसे 50 फीसदी केंद्रों में किया जाये।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल से कहा, ''हम अपने आदेश में संशोधन करने के इच्छुक नहीं है।'' ये दोनों वरिष्ठ अधिवक्ता आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व में याचिका दायर करने वाले विपक्षी नेताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
शीर्ष अदालत ने आठ अप्रैल को निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि लोकसभा चुनाव में प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में एक मतदान केन्द्र पर ईवीएम के साथ वीवीपैट की पर्चियों का औचक मिलान करने की बजाय इनकी संख्या बढ़ाकर पांच मतदान केन्द्र कर दी जाये। न्यायालय ने कहा था कि यह राजनीतिक दलों को ही नहीं बल्कि सारे मतदाताओं को कहीं अधिक संतोष प्रदान करेगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को पीठ से कहा कि वीवीपैट की पर्चियों के औचक मिलान को मौजूदा दो फीसदी से बढ़ाकर कम से कम 25 प्रतिशत कर दिया जाये।
सिंघवी ने पीठ से कहा, ''उच्चतम न्यायालय ने प्रति विधानसभा क्षेत्र एक से बढ़ाकर पांच मतदान केंद्र कर दिया है। हमने 50 फीसदी के लिये कहा है, लेकिन हम 33 फीसदी या 25 फीसदी के साथ भी खुश होंगे। यह संतुष्टि बढ़ाने और विश्वास बढ़ाने के उपायों के तौर पर है।''
शीर्ष अदालत ने जब यह कहा कि वह आठ अप्रैल के आदेश में संशोधन नहीं करेगी तो सिंघवी ने कहा कि मान लीजिये कि वे (निर्वाचन आयोग) इन पांच में कोई गड़बड़ी पाते हैं तो क्या होगा। इसके लिये कोई दिशानिर्देश नहीं हैं।
सिब्बल ने भी बहस में हिस्सा लेते हुये कहा कि निर्वाचन आयोग ने इससे पहले शीर्ष अदालत को इस पहलू पर गुमराह किया ।
इस पर, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ''यह पुनर्विचार याचिका है। हम खुले न्यायालय में आपको सुनने के लिये बाध्य नहीं है।''
याचिका पर सुनवाई के दौरान चन्द्रबाबू नायडू, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद डी राजा न्यायालय में मौजूद थे।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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