कोलकाता, - पश्चिम बंगाल में घाटल लोकसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार भारती घोष के उस बयान के बाद विवाद पैदा हो गया जिसमें उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को धमकी दी है कि अगर उन्होंने ज्यादा होशियारी दिखाई तो वह उत्तर प्रदेश से लोगों को बुलाएंगी और उन्हें 'कुत्ते की मौत मारेंगी।'
घोष पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और कभी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की करीबी मानी जाती थी। उन्होंने घाटल लोकसभा में क्षेत्र में प्रचार के दौरान यह टिप्पणी की। इससे कुछ देर पहले ही तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने उन्हें शालीनता की हदें पार नहीं करने की चेतावनी दी थी।
भाजपा प्रत्याशी ने प्रचार अभियान के दौरान कहा, '' अपने घरों में चले जाओ और यहां अपनी होशियारी दिखाने की कोशिश नहीं करो। छुपने की कोई जगह नहीं होगी। मैं तुम्हें, तुम्हारे घर से निकालकर कुत्ते की मौत मारूंगी... मैं उत्तर प्रदेश से 1,000 व्यक्तियों को ले आऊंगी और उन्हें तुम्हारे में घरों में छोड़ दूंगी और तुम्हें सबक सिखाउंगी।''
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी ने कोलकाता में कहा कि पार्टी घोष के खिलाफ चुनाव आयेाग में शिकायत करेगी। घोष कभी पश्चिम मिदनापुर में पुलिस अधीक्षक हुआ करती थी।
चुनाव आयोग ने घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है।
इस घटना के कुछ देर पहले, मुख्यमंत्री बनर्जी ने घोष का नाम लिए बिना उन्हें शालीनता की हदें पार नहीं करने को चेताया था और कहा था कि अन्यथा उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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