नयी दिल्ली, -) संकट में फंसी कंपनी आम्रपाली समूह के खातों की जांच के लिये नियुक्त फोरेंसिक आडिटरों ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष बृहस्पतिवार को कहा कि कंपनी से 9,590 करोड़ रुपये वसूले जा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी ने मकान खरीदारों के 3,523 करोड़ रुपये का दूसरे कार्यों में उपयोग किये।
आडिटरों का कहना है कि जिस पैसे को दूसरे कार्यों में उपयोग किया गया उसमें से 455 करोड़ रुपये रीयल्टी कंपनी के निदेशकों, उनके परिजनों तथा प्रमुख पद पर बैठे लोगों से वसूला जा सकता है।
न्यायाधीश अरूण मिश्र तथा न्यायाधीश यू यू ललित की पीठ को न्यायालय द्वारा नियुक्त फोरेंसिक आडिटर पवन अग्रवाल तथा रवि भाटिया ने कहा कि कंपनी ने औने-पौने दाम पर 5,856 फ्लैट बेचे और मौजूदा बाजार भाव पर इनके 321.31 करोड़ रुपये वसूले जा सकते हैं।
आडिटरों ने न्यायालय को आठ खंडों में दी रिपोर्ट में कहा कि अब तक उन्होंने 152.24 करोड़ रुपये का पता लगाया है जिसे कंपनी के निदेशकों तथा उनके परिवार के सदस्यों ने आयकर चुकाने, शेयर खरीदने के लिये कर्ज तथा अन्य मद के लिये उपयोग में लाया।
आडिटर की संक्षिप्त रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 35 समूह कंपनियों में निदेशकों सहित प्रमुख प्रबंधकीय पदों पर बैठे व्यक्तियों ने 69.36 करोड़ रुपये बेईमानी से निकाल लिये। यह धन इन कंपनियों के पास पड़ा था।
आडिटरों ने यह भी कहा है कि आम्रपाली की 11 विभिन्न परियोजनाओं में 5,229 बिना बिके फ्लैट हैं जिन्हें बेचकर 1,958.82 करोड़ रुपये हासिल किये जा सकते हैं। इसके अलावा आम्रपाली समूह की नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को 6,004.6 करोड़ की देनदारी भी इसमें बताई गई है।
शीर्ष अदालत ने फारेंसिक आडिटरों की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है और कंपनी समूह और उसकी सहयोगी कंपनियों से जवाब मांगा हैं।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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