नयी दिल्ली, - आईएलएंडएफएस की कंपनियों के स्वतंत्र निदेशक कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की जांच के घेरे में आ गए हैं।
सूत्रों ने कहा कि विविध क्षेत्रों में कार्यरत समूह में वित्तीय समस्या पैदा होने के समय इन स्वतंत्र निदेशकों ने अपने दायित्व को ठीक तरीके से पूरा नहीं किया। उनके कामकाज में खामियां रहीं।
आईएलएंडएफएस पर करीब 94,000 करोड़ रुपये का कर्ज का बोझ है। पिछले साल समूह में संकट सामने आया था। उस समय समूह की कई कंपनियों ने ऋण भुगतान में चूक की थी।
सूत्रों ने बताया कि समूह की विभिन्न कंपनियों के स्वतंत्र निदेशक जांच के घेरे में है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो कुछ बड़ी कंपनियों में बोर्ड में हैं।
सूत्रों ने कहा कि आडिटरों, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों और इन कंपनियों के कुछ पूर्व अधिकारियों की भूमिका की मंत्रालय द्वारा जांच की जा रही है। मंत्रालय ने अक्टूबर, 2018 में आईएलएंडएफएस के बोर्ड को भंग कर दिया था। गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) इस मामले की जांच कर रहा है।
मंत्रालय स्वतंत्र निदेशकों की रूपरेखा को मजबूत करने के लिए पहले से काम कर रहा है। कंपनियों में कामकाज के संचालन को बेहतर करने में स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है।
इससे पहले इसी महीने कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा था कि आईएलएंडएफएस समूह के आडिटरों को काफी सवालों का जवाब देना हेागा। प्रथम दृष्टया उन्हें 'चौकीदार' की भूमिका निभानी थी और व्यापक गड़बड़ियों को पकड़ना था। हालांकि, इसके साथ ही श्रीनिवास ने कहा कि अभी इस बारे में कोई नतीजा निकालना जल्दबाजी होगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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