कर विभाग ने 50 लाख रुपये तक के कारोबार वाले सेवाप्रदाताओं को 30 अप्रैल तक जीएसटी कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने और छह प्रतिशत कर का भुगतान करने को कहा है।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान घटी छह प्रतिशत पर करने का विकल्प वित्त वर्ष की शुरुआत या वित्त वर्ष के दौरान नया पंजीकरण हासिल करने की तारीख से प्रभावी होगा।
कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने वाले सेवा प्रदाताओं को छह प्रतिशत की निचली दर से कर देने की सुविधा होगी। हालांकि, ज्यादातर सेवाओं पर 12 से 18 प्रतिशत का ऊंचा कर लगता है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक सर्कुलर में कहा कि कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने वाले आपूर्तिकर्ताओं को 30 अप्रैल, 2019 तक फॉर्म जीएसटी सीएमपी-02 भरना होगा।
ऐसी कंपनियां जो कि नए पंजीकरण के लिए आवेदन करेंगी वे यह लाभ फॉर्म जीएसटी आरईजी-01 के जरिये पंजीकरण के लिए आवेदन करते समय हासिल करेंगी।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के भागीदार रजत मोहन ने कहा कि कई सेवा प्रदाताओं ने कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने के लिए इसे भरने का प्रयास किया लेकिन कानूनी ‘एम्बार्गो’ की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाए। इस स्पष्टीकरण के बाद जीएसटीएन उनका आवेदन स्वीकार करना शुरू करेगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद ने अपनी 10 जनवरी की बैठक में माल एवं सेवा का कारोबार करने वाले ऐसे सेवा प्रदाता जिनका सालाना कारोबार 50 लाख रुपये तक है, को एक अप्रैल से कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने की सुविधा दी थी।
अभी तक जीएसटी कम्पोजिशन योजना का विकल्प ऐसे कारोबारी या वस्तुओं के विनिर्माता चुन सकते थे जिनका सालाना कारोबार एक करोड़ रुपये तक है
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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