मुरादाबाद। रेलकर्मी शिव कुमार की हत्या के मामले में नामजद उसकी पत्नी नीतू को रविवार को मझोला पुलिस ने लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। पति की हत्या के बाद नीतू ने शनिवार को खुद पुलिस चौकी पहुंचकर पति का खून करने की बात कही थी। शुरुआती पड़ताल के बाद पुलिस का कहना है कि नीतू ने वारदात को अकेले नहीं बल्कि अपने प्रेमी पल्लव के साथ मिलकर अंजाम दिया था। पुलिस का दावा है कि उसे एक स्वतंत्र गवाह मिला है, जिसने घटना के बाद पल्लव को शिवकुमार के घर से निकलते देखा था।एसएचओ मझोला विकास सक्सेना ने बताया कि शिव कुमार की पत्नी नीतू की निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल किया गया डंडा भी घर से ही बरामद किया गया है। नीतू और उसके कथित प्रेमी पल्लव निवासी कटघर के मोबाइल की सीडीआर भी निकलवाई गई है, जिससे की दोनों की लोकेशन और उनकी आपस में बातचीत होने की पुख्ता जानकारी हो सके। सीओ ने बताया कि नीतू अपना जुर्म स्वीकार कर चुकी है। उसने पुलिस हिरासत में जो बयान दिया है उसमें बताया है कि पल्लव घटना की रात उससे मिलने आया था। इसका विरोध उसके पति शिवकुमार ने किया तो दोनों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उसने प्लानिंग के तहत चौकी जाकर पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूला, जिससे की प्रेमी को वह बचा सके। एसएचओ ने बताया कि हत्यारोपी नीतू को रविवार दोपहर को न्यायालय ले जाया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। वारदात में वांछित पल्लव की तलाश की जा रही है, उसके रिश्तेदारों के घर भी दबिश दी जा रही है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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