जयपुर - राजस्थान में 13 लोकसभा सीटों पर 67.78 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। मतदान प्रतिशत में बढोतरी हो सकती है यह प्रतिशत लोकसभा चुनाव का सबसे अधिकतम मतदान प्रतिशत है।
राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आनंद कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि 2014 में प्रथम चरण के लोकसभा चुनाव के दौरान इन 13 लोकसभा सीटों पर मतदान का प्रतिशत 64.27 प्रतिशत था और सम्पूर्ण राज्य का मतदान प्रतिशत 63.11 प्रतिशत था।
उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव में पहली बार वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया । 2019 लोकसभा के प्रथम चरण में कुल 28 हजार 182 मतदान केन्द्रों पर मत डाले गये ।
उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान 305 वीवीपैट मशीने भी बदली गई है जिनका प्रतिशत 0.83 प्रतिशत है। इन मशीनों में कुछ खराबी के कारण इन्हें बदला गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य में 13 सीटों पर कुछ एक छोटी मोटी घटनाओं को छोडकर मतदान शांतिपूर्ण तरीके सम्पन्न हुआ। राज्य में कहीं भी फर्जी और बोगस मतदान की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि प्रथम चरण के 13 लोकसभा सीटों में सबसे ज्यादा मतदान बाड़मेर में और सबसे कम पाली में दर्ज किया गया है।
उन्होंने बताया कि बाडमेर और अजमेर लोकसभा क्षेत्र में बैलट पेपर को हानि पहुंचाने के लिये एफआईआर दर्ज की जायेगी।
उन्होंने चुनाव के दौरान जो भी शिकायते उन्हें मिल रही थी उन सभी शिकायतों का निस्तारण समय पर कर दिया गया।
उन्होंने कानून व्यवस्था बनाये रखने और शांतिपूर्ण मतदान के लिये राज्य के वोटर,राज्य की जनता, केन्द्रीय पुलिस बल, राजस्थान पुलिस, और होमगार्ड का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने बताया कि बाडमेर में सबसे अधिक मतदान 73.15 प्रतिशत जबकि सबसे कम मतदान पाली में 61.57 प्रतिशत दर्ज किया गया।
उन्होंने बताया कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान चार मतदान कर्मियों की मौत हो गई है। राजसमंद, जोधपुर, अजमेर और उदयपुर में एक एक मौत हुई है।
राज्य की 25 में से 13 सीटों के लिए मतदान पहले चरण में हो रहा है जिनमें टोंक सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर , जालौर , उदयपुर , बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा तथा झालावाड़ बारां है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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