बैंकाक, (भाषा) भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल (52 किलो) ने साल में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीता जबकि पूजा रानी (81 किलो) महिलाओं में शीर्ष रही जिससे देश ने एशियाई चैम्पियनशिप में शानदार तरीके से अभियान समाप्त किया।
भारत ने टूर्नामेंट में दो स्वर्ण, चार रजत और सात कांस्य समेत 13 पदक जीते । पहली बार यह टूर्नामेंट महिला और पुरूषों के लिये एक साथ आयोजित किया गया था ।
पिछले साल एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने वाले पंघाल ने कोरिया के किम इंक्यू को हराया । उन्होंने बुल्गारिया में स्ट्रांजा मेमोरियल टूर्नामेंट में भी स्वर्ण पदक जीता था ।
इस साल की शुरूआत में 49 किलो से 52 किलो में आने के बाद पंघाल का यह पहला टूर्नामेंट है । उन्होंने 2015 में कांस्य पदक जीता था ।
पूजा ने चीन की वांग लिना को हराकर स्वर्ण पदक जीता । अपने पिता की मर्जी के खिलाफ मुक्केबाजी में आई पूजा ने छह महीने के भीतर परिवार को मना लिया था । उसने 2014 में एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता ।
राष्ट्रीय चैम्पियन दीपक सिंह (49 किलो) , आशीष कुमार (75 किलो) और कविंदर सिंह बिष्ट (56 किलो) को रजत पदक मिले ।
इससे पहले भारतीय पुरूषों का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2009 में था जब टीम ने एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य जीते थे ।
पंघाल ने आक्रामक अंदाज में खेलना शुरू किया और विरोधी के पास उनके हमलों का कोई जवाब नहीं था ।
इससे पहले दीपक को उजबेकिस्तान के नोदिरजोन मिर्जामेदोव ने बंटे हुए फैसले पर हराया । भारतीय दल ने रैफरी को रिव्यू के लिये पीला कार्ड भी दिया जो इस साल प्रायोगिक आधार पर टूर्नामेंट में शुरू किया गया है । इसके तहत कोचों के पास किसी फैसले के खिलाफ अपील करने के लिये एक मिनट का समय होता है ।
मुकाबले के स्लो मोशन फुटेज रैफरी देखता है तो उस पर अंतिम फैसला लेता है । संबंधित टीम के पक्ष में फैसला नहीं आने पर राष्ट्रीय महासंघ को 1000 डालर जुर्माना देना पड़ता है ।
भारत के हाई परफार्मेंस निदेशक सैंटियागो नीवा ने कहा ,'' हम फैसला बदला नहीं सके लेकिन विरोध दर्ज कराया ।''
बिष्ट को उजबेकिस्तान के मिराजिजबेक मिर्जाहेलिलोव ने मात दी । उत्तराखंड का यह मुक्केबाज दाहिनी आंख पर पट्टी बांधकर खेल रहा था चूंकि सेमीफाइनल में उसे चोट लगी थी ।
आशीष को कजाखस्तान के तुर्सीनबे कुलाखमेत ने मात दी ।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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