अपवाद को छोड़ दें तो राजनीति में तीन चीजें बेहद जरूरी हैं। भरपूर पैसा, बाहुबल और राष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्तर की पार्टी। अगर कुछ आपराधिक मुकदमे हैं तो माननीय बनने की संभावना बढ़ जाती है। फिर शैक्षिक योग्यता कोई मायने नहीं रखती। प्रत्याशी के रूप में आप निरक्षर हो सकते हैं या साक्षर, कक्षा-पांच, आठ और 12 पास भी चलेगा। उप्र इलेक्शन वॉच रिपोर्ट और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट तो यही कहती है।
रविवार को लखनऊ में पत्रकारों के समक्ष एडीआर के स्टेट हेड संजय सिंह ने उप्र में पहले चरण में लोकसभा की जिन आठ सीटों (सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतबुद्धनगर) पर 11 अप्रैल को मतदान होना है, उनके 96 उम्मीदवारों के हलफनामे की रिपोर्ट रखी। रिपोर्ट के मुताबिक 96 में 39 प्रत्याशी करोड़पति हैं। प्रमुख दल भाजपा, कांग्रेस और बसपा के तो सभी उम्मीदवार करोड़पति हैं। सारे प्रत्याशियों की संपत्ति का औसत 5.56 करोड़ रुपये हैं।
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