संयुक्त राष्ट्र, (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, एक वर्ष से कम उम्र के शिशुओं को इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन से बिल्कुल भी परिचित नहीं होना चाहिए और पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्क्रीन देखने का समय एक दिन में एक घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए।
इन दिशानिर्देशों को वैश्विक मोटापे के संकट से निपटने के लिए एक अभियान के तहत जारी किया गया है, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि छोटे बच्चे फिट रहें और उनका विकास अच्छी तरह से हो, खासकर जीवन के पहले पांच वर्षों में, जिस दौरान बच्चों के विकास का आजीवन उसके स्वास्थ्य पर प्रभाव रहता है।
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने पहली बार पांच साल से छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से दिशानिर्देश तैयार किये हैं, जिसमें कहा गया कि दुनिया भर में लगभग 4 करोड़ बच्चों का वजन सामान्य से अधिक है, जो कुल का लगभग छह प्रतिशत हैं। उनमें में से आधे अफ्रीका और एशिया के हैं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन देखने में बहुत कम समय बिताना चाहिए, या प्रैम और सीट पर एक ही जगह नहीं बैठे रहना चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए पूरी नींद लेनी चाहिए और सक्रिय खेलकूद पर अधिक समय देना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रियेसस ने कहा, ''सभी लोगों के स्वस्थ रहने का मतलब लोगों के जीवन की शुरुआत से स्वास्थ्य का ध्यान रखना है।''
घेब्रियेसस ने कहा, ''बचपन के प्रारंभिक दौर में बच्चों का विकास तेजी से होता है और यह ऐसा समय है जब स्वस्थ रहने के लिए परिवार की जीवन शैली को उसके अनुकूल ढाला जा सकता है।''
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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