पांच साल में देश की दशा बिगड़ी: पित्रोदा
जयपुर, - कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने शुक्रवार को कहा कि बीते पांच साल में देश की दशा बहुत बिगड़ी है और केन्द्र की मोदी सरकार ने झूठे वादे करने के सिवाय कुछ नहीं किया।
उन्होंने कहा कि भारत एक जवान देश है जहां युवाओं के लिए रोजगार सृजित करना बड़ी चुनौती है और कांग्रेस को यह काम करना आता है।
पित्रोदा ने यहां कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ''बीते पांच साल में हमने देखा कि बहुत से वादे किए गए...100 स्मार्टसिटी बनाने, 10 करोड़ रोजगार देने और काला धन वापस लाने के। लेकिन जब हम इस सरकार का रिकार्ड देखते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि बहुत सारे झूठे वादों के अलावा कुछ नहीं हुआ।'' उन्होंने कहा कि देश के सामने इस समय बड़ी चुनौती रोजगार सृजित करने की है और कांग्रेस को यह करना आता है। उन्होंने कहा, ''हम जानते हैं कि रोजगार कैसे सृजित हों। हमने रोजगार पैदा किए आईटी में, दूरसंचार में, दुग्ध क्रांति में, हरित क्रांति में, अंतरिक्ष व रक्षा के क्षेत्र में... तो कांग्रेस पार्टी जानती है कि रोजगार कैसे पैदा किए जाते हैं।''
उन्होंने कहा, ''देश के सामने बड़ा मुद्दा रोजगार का है क्योंकि हमारा देश जवान है जहां 60 करोड़ लोग 35 साल से कम आयु वर्ग के हैं। हमें पांच साल में कम से कम 10 करोड़ रोजगार पैदा करने होंगे। बीते पांच साल में एक भी नया रोजगार सृजित नहीं हुआ बल्कि जो रोजगार थे उनमें से भी 50 लाख रोजगार कम हो गए। यह काम बहुत कठिन है इन्हें रोजगार सृजित करना नहीं आता। सौ स्मार्टसिटी की बात कर रहे थे एक भी नहीं बना पाए।''
पित्रोदा ने कहा, ''लोगों से झूठ बोला गया है। मेरे विचार में तो लोकतंत्र को हाइजैक कर लिया गया है। आजादी पर अंकुश लगा। बहुत कम ही लोग बोल पा रहे हैं। सच को वह जगह नहीं मिली जो मिलनी चाहिए।''
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र की पांच मुख्य बातों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुरक्षा और किसान है। उन्होंने न्यूनतम आय न्याय योजना को सबसे महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इसके जरिए गरीबी पर प्रहार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मनरेगा के जरिए भी ऐसा काम कर चुकी है और तब भी सवाल उठे थे कि यह कैसे होगा? लेकिन यह हो गया।
वाराणसी लोकसभा सीट से प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनाव नहीं लड़ने के बारे में उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने अंतिम निर्णय प्रियंका पर छोड़ दिया था और उन्होंने (प्रियंका) यह सोचा कि उनके पास अभी कई जिम्मेदारियां है। उन्होंने सोचा कि एक सीट पर ध्यान केन्द्रित करने की जगह उनके हाथ में जो काम है उस पर ध्यान लगाया जाये और यह उन्हीं का निर्णय था।
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