मुंबई, कंगना रनौत की बहन रंगोली चंदेल की ओर से आलिया भट्ट और उनके परिवार को निशाना बनाकर किये गये अनगिनत बयानों पर अभिनेत्री ने शुरुआत से ही चुप्पी साध रखी है और अब आलिया का कहना है कि वह सिर्फ सकारात्मक चीजों पर अपना ध्यान लगाना चाहती हैं।
हाल में आलिया, उनकी मां सोनी राजदान और पिता महेश भट्ट को लेकर रंगोली ने ट्विटर पर निशाना साधा था।
उन्होंने लिखा, भट्ट बंधुओं के लिये जब कंगना ने फिल्म करने से इनकार किया तो महेश बहुत हताश हो गये थे और उन्होंने अभिनेत्री को चप्पल फेंककर मारा था।
राजदान की राष्ट्रीयता के बारे में एक और ट्वीट कर रंगोली ने लिखा, लोगों को ''इन गैर भारतीयों के एजेंडा के बारे में सोचना चाहिए जो यहां की धरती पर रहते हैं, इसका इस्तेमाल यहां के संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं और यहां के लोगों को गालियां देते हैं...।''
रविवार रात को एक रिपोर्टर ने आलिया की इस परिपक्वता के लिये उनकी तारीफ की और पूछा कि क्या उनके परिवार को लेकर किये गये इस तरह के बयान उन्हें परेशान नहीं करते। इस पर आलिया ने पत्रकारों से कहा, ''अगर मैं ऐसी हूं तो मेरा परिवार मुझसे 10 गुणा ज्यादा परिपक्व और मजबूत है। मैं इन सबमें नहीं पड़ना चाहती। मैं खुश और सकारात्मक रहकर कड़ी मेहनत करना चाहती हूं और हर दिन खुद को और बेहतर करना चाहती हूं।''
26 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा कि इन सबके बजाय वह अपने कैरियर पर फोकस करना चाहती हैं।
अभिनेत्री ने कहा, ''लोग क्या कहते हैं और क्या नहीं कहते हैं मैं इस पर ध्यान नहीं देना चाहती हूं। हर जो वह कहना चाहता है, उसे अपनी बात कहने का हक है। लेकिन मैं चुप रहूंगी, यही मेरा रुख है।''
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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