नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी ने शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला और दावा किया कि इस सरकार में ‘‘देशभक्ति की नयी परिभाषा सिखाई जा रही है और असहमति का सम्मान नहीं हो रहा है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि अब देश को एक ऐसी सरकार की जरूरत है जो देश के सभी नागरिकों के प्रति उत्तरदायी हो।
सोनिया ने सामाजिक संगठनों की ओर से आयोजित ‘जन सरोकार’ कार्यक्रम में कहा, ‘‘ कुछ साल पहले यह सोच भी नहीं सकते थे कि हमें इस हालात में यह एकत्र होना पड़ेगा। पिछले कुछ वर्षों से हमारे देश की मूल आत्मा को कुचला जा रहा है। उस पर हमें चिंता है। जिन संस्थाओं ने हमें बुलंदियों पर पहुंचाया उन्हें करीब करीब खत्म कर दिया गया है।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘हमें देशभक्ति की नयी परिभाषा सिखाई जा रही है। विविधता को अस्वीकार करने वालों को देशभक्त बताया जा रहा है। अपने ही नागरिकों से भेदभाव से सही ठहराया जा रहा है। खानपान, वेशभूषा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुछ लोग अपनी मनमानी थोप रहे हैं।’’
कांग्रेस की शीर्ष नेता ने आरोप लगाया, ‘‘ वर्तमान सरकार असहमति का सम्मान करने को बिल्कुल भी राजी नहीं है। जब लोगों पर हमले होते हैं तो सरकार अपना मुंह फेर लेती है। कानून का राज कायम करने के अपने फर्ज को निभाने को यह सरकार तैयार नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी नीतियां बनाने में लगी है जिससे उसके चहेते उद्योगपति फलते-फूलते हैं। भारत को एक सरकार की जरूरत है जो देश के सभी नागरिकों के प्रति उत्तरदायी हो और जो अपने कामकाज में निष्पक्ष रहे। हमें अपने संविधान के धर्मनिरपेक्ष और उदार भावना को फिर से बहाल करना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक-एक व्यक्ति की सुरक्षा और गरिमा फिर से सुनिश्चित करनी होगी। हर व्यक्ति को बराबर को अधिकार देना होगा।’’
सोनिया ने संप्रग सरकार के समय की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि जो वादे किए जा रहे हैं उनको अमल पर नजर रखने की व्यवस्था की जाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ सरकार की जुबान में वजन होना चाहिए। उसके कथनी और करनी में फर्क नहीं होनी चाहिए। हमने पहले भी कर दिखाया है और आगे भी कर दिखाएंगे।’’
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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