मुंबई, सात अप्रैल (भाषा) फिल्म निर्देशक कबीर खान ने कहा है कि समसामयिक मसलों को लेकर उन्हें अक्सर नहीं बोलने की सलाह दी जाती है लेकिन उनका मानना है कि यदि बोलने में समस्या है तो चुप रहना भी उतना ही खतरनाक है।
फिल्मकार ने कहा कि समान विचारधारा वाले लोगों के लिए बोलना जरूरी है और देश को ‘नकारात्मक ताकतों के हाथों तहस नहस’ होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पूरे जीवन में मुझे सलाह दी गयी कि इन बातों पर नहीं बोलें। लेकिन मेरा सोचना है कि हमें बोलना चाहिए। यदि हम एक दूसरे के लिए नहीं बोलेंगे तो फिर आपके लिए भी बोलने वाला कोई नहीं बचेगा। हमें अपने विचार जरूर प्रकट करने चाहिए।’’ कबीर ने पीटीआई से कहा, ‘‘जो लोग समान तरीके से सोचते है, यदि वे चुप रहते हैं और किसी समाज या देश में नकारात्मक शक्तियां बढ़ती हैं तो वे इसके लिए जिम्मेदार हैं। एक तरह से बोलना जितना खतरनाक है, तो चुप रहना भी उतना ही खतरनाक है।’’
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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