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चाचा-भतीजे की लड़ाई होगी दिलचस्प


लोकसभा चुनाव की तारीखें जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं, सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो इस बार बसपा के साथ चुनावी अखाड़े में उतरी समाजवादी पार्टी की राह में अपने ही रोड़ा बन सकते हैं। दरअसल, सपा ने फिरोजाबाद से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को टिकट दिया है, लेकिन अब इस सीट से उनके चाचा शिवपाल यादव भी ताल ठोंकते नजर आ रहे हैं। फिरोजाबाद सपा की पारंपरिक सीट रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि चाचा-भतीजे की लड़ाई में बाजी कौन मारता है। मालूम हो कि फिरोजाबाद समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। 1998 में जब बीजेपी के हाथ से यह सीट फिसली तो फिर वापसी का मौका नहीं मिला। साल 1999 में सपा के रामजी लाल सुमन इस सीट से चुनाव जीते। उसके बाद से सपा लगातार 2009 तक इस सीट पर जीत दर्ज करती आई। 2009 में खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव  कन्नौज के साथ-साथ फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़े। हालांकि उन्होंने फिरोजाबाद सीट छोड़ दी और उपचुनाव में यह सीट कांग्रेस की झोली में चली गई। कांग्रेस के राज बब्बर ने उपचुनावों में बाजी मारी। 2014 में फिर सपा ने फिरोजाबाद सीट पर वापसी की और अक्षय यादव यहां से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे। समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के नाम से अपना अलग राजनीतिक दल बनाने वाले शिवपाल यादव  ने कई महीने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वे फिरोजाबाद से चुनाव लड़ेंगे। सियासत के अखाड़े में तमाम प्रतिद्वंदियों को चित करने वाले शिवपाल यादव ने ये दांव यूं ही नहीं चला था, बल्कि इसके पीछे ठोस वजहें भी थीं। जानकारों के मुताबिक शिवपाल यादव की सपा से विदाई में भाई रामगोपाल यादव का बड़ा हाथ था। अब फिरोजाबाद में रामगोपाल के बेटे अक्षय को सीधी चुनौती देकर शिवपाल सपा से अपनी रुखसती का बदला तो लेना ही चाहते हैं। दूसरी तरफ, फिरोजाबाद सपा का मजबूत किला माना जाता है। ऐसे में शिवपाल की कोशिश इस किले पर कब्जा जमाने की होगी। शिवपाल यादव पर सपा के नेता लगातार हमलावर रहे हैं और उन पर भाजपा की बी टीम होने का आरोप भी लगाया है और कहा गया कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि हाल ही में शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा में शामिल होने की संभावनाओं से साफ इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा हम लोग ‘सेक्यूलर लोग हैं और हम हमेशा से भाजपा के खिलाफ रहे हैं। हम पुराने ‘सेक्यूलर’ समाजवादी हैं और भाजपा में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता है।


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