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अब बिना सीना चीरे हो सकेगी हार्ट की सर्जरी, कमजोर दिल के मरीजों को भी मिलेगी राहत


अब बिना सीना चीरे हार्ट की सर्जरी हो सकेगी। इतना ही नहीं जिन मरीजों के दिल के कार्य करने की क्षमता कमजोर होगी, उनकी भी सर्जरी आसानी से की जा सकेगी। यह संभव होगा ट्रांस कैथेटर वॉल्व इम्प्लांट से। इसे पश्चिमी देशों में खूब पसंद किया जा रहा है। 


 

अब भारत में भी प्रायोगिक तौर पर इसकी शुरुआत हो चुकी है। यह जानकारी प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. देवब्रत रॉय ने दी। वह एसजीपीजीआई में आयोजित इंटरवेंशनल कार्डियोलॉडिस्ट (एआईसी 2019) के अधिवेशन में हिस्सा लेने आए थे।

डॉ. देवब्रत रॉय ने बताया कि इस तकनीक का प्रयोग करने से सीने को पूरी तरह से खोलना नहीं पड़ता है, बल्कि पैर की नस या कमर के पास से कैथेटर लेकर दिल तक पहुंचा जाता है और वहां वॉल्व को स्थापित किया जाता है। इसमें एनेस्थेटिस्ट को काफी सहूलियत होती है। खास बात यह है कि यह उन मरीजों के लिए भी कारगर है, जिनका हार्ट फंक्शन बेहद कम हो जाता है या जिनके  हार्ट का पंपिंग सिस्टम कमजोर होता है। उन्होंने बताया कि अभी इस पर करीब 20 से 30 लाख रुपये खर्च आ रहा है। ऐसी स्थिति में भारत के सभी चिकित्सा संस्थान इस तरह की सर्जरी नहीं कर रहे हैं। 

कोलकाता, बंगलूरू सहित कुछ निजी संस्थानों में यह प्रयोग हुआ है। अस्पताल में रहने और दवाओं के खर्चे के अनुसार आकलन करें तो यह खर्चा ओपेन सर्जरी से ज्यादा नहीं होता है। इसमें मरीज को सप्ताहभर बाद काम पर जाने की छूट दे दी जाती है।


हार्ट की मांसपेशी कमजोर है तो कारगर होगी इंपैला डिवाइस


जिन लोगों की दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और एंजियोप्लास्टी करने में दिक्कत हो रही होती है तो उन लोगों के लिए अब खुशखबरी है। पंप की तरह काम करने वाली एक डिवाइस आ गई है। इसे इंपैला डिवाइस करते हैं।

इसकी मदद से ब्लड प्रेशर कम होने पर भी एंजियोप्लास्टी की जा सकती है। इसे पैर की नस के जरिये डाला जाता है। यह हार्ट को सपोर्ट करते हुए उसे रेस्ट देता है। इसी तरह कई अन्य नई नई तकनीक आ रही है, जो हृदय रोगियों के  लिए कारगर साबित हुई हैं।

जहां तक हृदय रोगियों की संख्या बढ़ने का सवाल है तो यह खानपान में आए बदलाव, केमिकलाइजेशन, धूम्रपान की वजह से है। साथ ही पहले लोगों को पता ही नहीं चलता है कि क्या बीमारी है। अब नई तकनीक आने से हृदय संबंधी सभी बीमारियों की पहचान हो जाती है।

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