नयी दिल्ली, -: इतिहास में आज की तारीख दुनिया के नक्शे पर जर्मन नेता अडोल्फ हिटलर की मौत के तौर पर दर्ज है। हिटलर ने 30 अप्रैल 1945 को सोवियत सेनाओं से घिरने के बाद बर्लिन में जमीन से 50 फुट नीचे एक बंकर में खुद को गोली मारकर अपनी पत्नी इवा ब्राउन के साथ आत्महत्या कर ली थी।
देश दुनिया के इतिहास में 30 अप्रैल की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है :-
1598: अमेरिका में पहली बार थियेटर का आयोजन।
1789: जॉर्ज वॉशिंगटन सर्वसम्मति से अमेरिका के पहले राष्ट्रपति चुने गए।
1870: भारतीय सिनेमा के पितामह धुंदीराज फाल्के उर्फ दादा साहब फाल्के का जन्म।
1908 : खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर में किंग्सफोर्ड के मजिस्ट्रेट की हत्या करने के लिए बम फेंका, लेकिन दो बेगुनाह बम की चपेट में आकर मारे गए।
1945 : जर्मन तानाशाह हिटलर एवं उसकी पत्नी इवा ब्राउन ने आत्महत्या की।
1973 : अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने देश के राष्ट्रपति के नाते वॉटरगेट काँड की ज़िम्मेदारी ली हालांकि उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वह निजी तौर पर इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
1975 : वियतनाम युद्ध का अंत हुआ। तीन दिन के सत्तारूढ़ राष्ट्रपति दुओंग वैन मिन्ह ने अपनी सेनाओं से समर्पण करने और उत्तरी वियतनामियों से हमले रोकने को कहा।
1991: बांग्लादेश में भीषण चक्रवात में सवा लाख से अधिक लोगों की मौत और 90 लाख लोग बेघर ।
1993 : जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में एक मैच के दौरान उस समय की दुनिया की नंबर एक टेनिस खिलाड़ी मोनिका सेलेज़ को छुरा मारकर घायल कर दिया गया।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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