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रामपुर रज़ा लाइब्रेरी में “मुग़ल चित्रकला: एक ऐतिहासि“ विषय पर हुआ व्याख्यान


 



 रामपुर - रज़ा लाइब्रेरी के दरबार हाॅल में  “मुग़ल चित्रकला: एक ऐतिहासि“  विषय पर डाॅ० गीती सेन, कला इतिहासकार एवं पूर्व
निदेशक भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र, नेपाल ने विस्तार व्याख्यान प्रस्तुतकिया। इस अवसर पर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के निदेशक प्रो० सैयद हसन अब्बासभी मौजूद रहे।कार्यक्रम का शुभारम्भ डाॅ० मौलाना इरशाद नदवी की तिलावते कुरान एवं सैयद नवेद कैसर शाह की नाते-पाक से हुआ।
इस अवसर पर डाॅ० गीती सेन ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत में लघु चित्रों के विकास में मुगल सम्राटों की बहुत ही अहम
भूमिका रही है और मुगल चित्रकला में युद्ध, पौराणिक कहानियों, शिकार के दृश्यों, वन्य जीवन, शाही जीवन, पौराणिक कथाओं आदि
जैसे विषय को दर्शाया गया है और ये चित्र मुग़ल बादशाहों की लंबी कहानियों को बयान करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गए। कहा कि
मुगल दरबार में मीर सैयद अली और अब्द अल-समद जैसे फारसी चित्रकार मौजूद थे जिन्होंने भारत में मुगल चित्रों के विकास में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कहा कि सम्राट अकबर पढ़े-लिखे नहीं थे फिर भी उन्हें चित्रकारी से काफी लगाव था तथा अल-समद ने तो
अकबर को चित्रकारी सिखायी, जिन्होंने अकबर के साथ लाहौर, आगरा एवं फतेहपुर सीकरी में काम किया। तथा इसे शाहजहाँ और दारा शिकोह ने
भी विशेष रूचि ली। बाद में 16वीं और 17वीं सदी के दौरान, दशवंत, बसावन, मिस्किन और लाल जैसे चित्रकारों ने मुगल दरबार में
काम किया और कला को जीवित रखा।
           इस अवसर पर प्रो० सैयद हसन अब्बास, निदेशक रामपुर रज़ा लाइब्रेरी नेविस्तार व्याख्यान प्रस्तुत कर रही डाॅ० गीती सेन के विषय में विस्तार से बताया। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन श्रीमती सनम अली खान ने किया औरकार्यक्रम के अन्त में डाॅ० अबुसाद इस्लाही, लाइब्रेरी एवं सूचना अधिकारी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर लाइब्रेरी का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।


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