रामपुर का रण 2019



रामपुर - 2019 लोकसभा चुनावो  में  रामपुर लोकसभा सीट से सभी पार्टियों ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए इसके साथ ही रामपुर के रण 2019  की शुरुवात हो गई।  यह चुनाव इस लिए भी खास है क्यूकि 10 साल बाद एक बार फिर आज़म खान और जयाप्रदा के बीच ज़ुबानी और ज़मीनी जंग दोनों देखने को मिलेगी 2009 के बाद 2019 का यह चुनाव बेहद दिलचप्स होने वाला है। जिस तरह 2009 में रामपुर से शोले देखने को मिले थे दस साल बाद  रीमेक ऑफ़   रामपुर के शोले पार्ट - 2   देख़ने को ज़रूर मिलेगे। ख़ैर आइये जानते है इस बार के रण के अहम किरदारों को। 



गटबंधन की ओर से सपा ने अपने कद्दावर नेता आज़म खान को उतारा है। आज़म खान रामपुर की सदर विधान सभा सीट से 9 बार के विधायक है वह 1980 से रामपुर से विधायक है बस 1996 का चुनाव वह हार गए थे उसके बाद से उन्होंने हार का मुँह नहीं देखा। एक ही सीट से 9 बार जीतने वाले वह यू पी के दूसरे नेता है उनसे पहले यू पी से कांग्रेस के प्रमोद तिवारी रामपुर खास विधान सभा सीट से लगातार 9 बार जीत कर अपना नाम लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा चुके है।  आज़म खान के बेटे भी रामपुर की स्वार सीट से विधायक है। आज़म खान की पत्नी समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद है। 



भाजपा की तरफ से बॉलीवुड अभिनेत्री जयाप्रदा उमीदवार है।  जिन्होंने मंगलवार को ही भाजपा ज्वाइन की और देर शाम उनके नाम का एलान भी हो गया। बॉलीवुड में 300 फिल्मो में काम कर चुकी जयाप्रदा रामपुर से अनजान नहीं है। वह 2 बार रामपुर की सांसद रह चुकी है 2004 में वह रामपुर से पहली बार जीती थी तब आज़म खान उनको खुद रामपुर लेकर आए  थे और वह सपा से प्रत्याशी थी। 


    2009 में भी जयाप्रदा रामपुर से जीती लेकिन इस बात बात अलग थी इसबार आज़म खान जयाप्रदा के विरोध में थे लेकिन समाजवादी पार्टी और ठाकुर अमर सिंह उनके साथ मज़बूती से खड़े थे। अबकी बार तो बाज़ी बिलकुल उलट है जयाप्रदा भाजपा से उम्मीदवार है और उनके सामने है समाजवादी  पार्टी से  आज़म खान। 



कांग्रेस की तरफ से पार्टी के उमीदवार संजय कपूर है। संजय पुराने कांग्रेसी है वह 2 बार रामपुर की बिलासपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे है 2007 और 2012 में 2017 का चुनाव वह सपा के समर्थन के बावजूद हार गए थे।  संजय कपूर राहुल गाँधी के काफी करीबी माने जाते है उनको राहुल कई राज्यों के चुनावो की ज़िम्मेदारी भी दे चुके है।  संजय उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में अहम ज़िम्मेदारी निभा चुके है। 



प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रस्पा ) की तरफ से संजय सक्सेना मैदान में है। संजय दिल्ली के हीरा कारोबारी है जो की रामपुर में ही जन्मे है। और अब रामपुर को अपनी कर्मभूमि बता रहे है। और यहाँ की जनता को बड़े बड़े ख़्वाब दिखा रहे है उद्योगों से लेकर हॉस्पिटल तक के।  


       रामपुर के राजनीतिक समीकरणो की अगर बात करे तो यहाँ 5 विधानसभा सीटे है जिनमे 3 सपा के पास है और २ भाजपा के पास रामपुर को आज़म खान का गढ़ माना जाता है लेकिन 2009 में आज़म खान के विरोध के बावजूद जयाप्रदा यहाँ से जीती थी तो 2014 चुनावो में मोदी लहर के चलते भाजपा यहाँ से लगभग 30000 वोटो से जीती थीं जबकि सपा दूसरे नंबर पर रही थी।  2019 के रण में क्या होगा ये अभी कहना मुश्किल है क्यों कि अभी तो शुरुवात है आगे -आगे  देखिए होता है क्या ?


 


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