मिर्जा गालिब को उर्दू का शिखर पुरूष कहा जाता है - राज्यपाल



उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में उर्दू रायटर्स फोरम एवं गालिब इंस्टीट्यूट उर्दू रायटर्स फोरम द्वारा उर्दू के विख्यात शायर मिर्जा गालिब पर आयोजित ‘इण्टरनेशनल गालिब सेमिनार’ का समापन किया। इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह, गालिब इंस्टीट्यूट के निदेशक श्री रजा हैदर, प्रो0 शारिब रूदौलवी, अवधानामा के संपादक श्री वकार रिजवी सहित बड़ी संख्या में उर्दू साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

राज्यपाल ने कहा कि मिर्जा गालिब को उर्दू का शिखर पुरूष कहा जाता है। मिर्जा गालिब ने उर्दू को बेहतरीन काव्य निर्माण करके अमर साहित्य दिया है। मिर्जा गालिब ने 11 वर्ष की उम्र से शायरी करना शुरू किया तथा उनकी शायरी अत्यन्त अर्थपूर्ण थी। उर्दू भाषा में जोश और जज्बा है। भाषाएं दूरियाँ मिटाती हैं और एक-दूसरे को जोड़ती हैं। हिन्दी भाषा उर्दू की बड़ी बहन जैसी है। उर्दू का हमारे देश में बड़ा शानदार इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा और साहित्य ने स्वतंत्रता संग्राम में जो भूमिका अदा की है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। 

श्री नाईक ने कहा कि जब वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बनकर आये तो उनकी जानकारी में आया कि उर्दू प्रदेश की दूसरी शासकीय भाषा है। इस दृष्टि से उन्होंने राजभवन के सभी गेटों पर हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में गेट संख्या लिखवायी। मुंबई के शुभचिंतकों के आग्रह पर अपने मराठी संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का उर्दू अनुवाद कराया। उर्दू रायटर्स फोरम ने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ उर्दू संस्करण पर एक चर्चा रखी जिसमें जर्मन विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो0 आरिफ नकवी ने पुस्तक का जर्मन अनुवाद करने का प्रस्ताव किया जिसके बाद जर्मन के साथ-साथ अरबी और फारसी भाषा में भी अनुवाद हुआ। अरबी और फारसी भाषा की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का 22 फरवरी 2019 को नई दिल्ली में लोकार्पण हुआ। उन्होंने कहा कि एक पुस्तक ने अनेक भाषा के लोगों से उन्हें जोड़ने का काम किया है।

राज्यपाल ने बताया कि उनकी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ की प्रस्तावना उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री डाॅ0 अम्मार रिजवी ने लिखी है। अपने प्रस्तावना में उन्होंने कहा कि राम नाईक की पुस्तक को पढ़ते हुये अहसास हुआ कि मशहूर उर्दू शायर मिर्जा गालिब का खत लिखने का यही अंदाज था। मिर्जा गालिब के खत को पढ़कर लगता था कि जैसे वे खुद सामने बाते कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डाॅ0 अम्मार रिजवी ने दुनिया के इतने मशहूर शायर से मेरा नाम जोड़कर मेरा मान बढ़ाया है।

प्रो0 शारिब रूदौलवी ने कहा कि मिर्जा गालिब खुद को पहचानने वाले शायर थे जिन्होंने कहा कि उनकी कलम ही उनकी शायरी की गवाही देती है। उन्होंने मिर्जा गालिब के जीवन से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में प्रो0 एस0आर0 किदवई, कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह, निदेशक डाॅ0 रजा हैदर तथा श्री वकार रिज़वी ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 अब्बास रजा नैय्यर ने किया।

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