महाराष्ट्र के राज्यपाल ने किया राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सिंधी संस्करण का लोकार्पण



उत्तर प्रदेश के राज्यपाल  राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सिंधी संस्करण ‘हलंदा हलो’ का लोकार्पण मुंबई राजभवन में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी0 विद्यासागर राव द्वारा किया गया। लोकार्पण समारोह में महाराष्ट्र के उच्च शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े एवं भारतीय जनता पार्टी मुंबई के अध्यक्ष एवं विधायक आशिष शेलार, भारतीय सिन्धू सभा के अध्यक्ष  लक्ष्मणदास चंदीरामानी, बांद्रा हिन्दू एसोसिएश्यान के अध्यक्ष डाॅ0 अजीत मन्याल, सिंधी अनुवादक सुखराम दास सहित स्वयंसेवी संस्था स्पंदन आर्ट्स के पदाधिकारीगण एवं अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। 

महाराष्ट्र के राज्यपाल  सी0 विद्यासागर राव ने लोकार्पण समारोह में विचार व्यक्त करते हुये कहा कि  नाईक की पुस्तक समाज सेवा एवं राजनीति में कार्य करने वालों के लिये गीता के समान है जिसका बार-बार अध्ययन करना चाहिए। नाईक ने राजनीति को समाज सेवा का माध्यम बनाकर गरीब, जरूरतमंद, कुष्ठ पीड़ितों एवं महिलाओं के लिये बहुत कार्य किया है। उन्होंने अपने जीवन में सदैव सामाजिक मुद्दों की राजनीति की है। वे मुंबई राजभवन में प्रतिनिधिमण्डल के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर जनसमस्याओं के बारे में अवगत कराते रहे है और उनके समाधान का सुझाव भी देते हैं। उन्होंने कहा कि श्री नाईक की सामाजिक मुद्दों से जुड़ी राजनीति के कारण 1986 में महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री कोना प्रभाकर राव को त्याग पत्र तक देना पड़ा था।

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि वह मुंबई से हैं और आज उनकी पुस्तक के सिंधी संस्करण का लोकार्पण मुंबई राजभवन में हो रहा है। श्री नाईक ने कहा कि उनके सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन में सिंधी भाषिक महानुभावों का बहुत प्रभाव रहा है। सिंधी लोग सदैव उनके लिये प्रकाश पुंज के समान रहे हैं। उन्होंने बताया कि जनसंघ के मुंबई अध्यक्ष झमटमल वाध्वानी से एवं विधायक रहते हुये नेता विधायक दल हशु आडवाणी से उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में बहुत सीखा है। राज्यपाल ने कहा कि 1989 से सांसद रहे तो अटल जी एवं आडवाणी जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। उनकी पुस्तक का सिंधी में प्रकाशन का कार्यक्रम उन्हें बहुत समाधान देने वाला अवसर है। 

श्री नाईक ने अपने संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ पर प्रकाश भी डाला। अपने राजनैतिक जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि वे 3 बार विधायक एवं 5 बार सांसद रहे हैं। उन्होंने विपक्ष में रहते हुये 1992 में संसद में राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ गायन की शुरूआत करायी। उनके प्रयास से 1993 में सांसद निधि की शुरूआत हुई। 1994 में मुंबई को उसका असली नाम दिलवाया जिसके बाद कई स्थानों के नाम परिवर्तित हुये। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और अयोध्या भी उसी बदलाव की कड़ी हैं। अटल जी की सरकार में पेट्रोलियम मंत्री रहते हुये उनके सुझाव पर 439 शहीदों के परिजनों को परिवार के पालन-पोषण के लिये सरकारी खर्च पर पेट्रोल पम्प और गैस एजेन्सी दी गयी। श्री नाईक ने कहा कि मेरे प्रेरणा पुरूष पिता, सहयोगी एवं कार्यकर्ता रहे हैं तथा पुस्तक लिखने में उनकी पत्नी, बेटियों और शुभचिंतकों से उन्हें संबल मिला। उन्होंने श्लोक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ की व्याख्या करते हुए कहा कि निरन्तर कर्म करते रहने से ही जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

लोकार्पण समारोह से पूर्व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस ने राज्यपाल श्री नाईक से भेंट तथा उन्हें पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!‘ के सिंधी संस्करण हेतु बधाई भी दी। राज्यपाल श्री नाईक ने उन्हें पुस्तक की प्रति भेंट की।

ज्ञातव्य है कि राज्यपाल श्री राम नाईक के मराठी भाषी संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!‘ का विमोचन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा 25 अपै्रल, 2016 को मुंबई में किया गया था। राज्यपाल की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू तथा गुजराती संस्करणों का लोकार्पण 9 नवम्बर 2016 को राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में, 11 नवम्बर 2016 को लखनऊ के राजभवन में तथा 13 नवम्बर 2016 को मुंबई में हुआ। 26 मार्च 2018 को संस्कृत नगरी काशी में राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद द्वारा ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के संस्कृत संस्करण का लोकार्पण किया गया। 21 फरवरी 2019 को पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ के सिंधी प्रकाशन का लखनऊ में तथा 22 फरवरी 2019 को अरबी एवं फारसी संस्करण का लोकार्पण नई दिल्ली में हुआ। श्री नाईक की मूल मराठी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ अब सिंधी, हिन्दी, गुजराती, संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी, फारसी, अरबी और जर्मन जैसी दस भाषा में उपलब्ध है। 

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