लखनऊ : लोकदल नेता सुनील सिंह ने बयान जारी कर कहा कि 2019 का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। लोकतंत्र खतरे में है यह लोकतंत्र को बचाने का चुनाव है। देश में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। देश को हजारों साल पीछे ढकेल कर मनुवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। जनता को गुमराह कर मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाया जा रहा है।
उन्होंने सपा एबसपाएराष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन पर बोलते हुएकहा कि ये दल अपने वजूद को बचाने और अपने हित को साधने के लिए एक साथ एक मंच पर आये है। एेसे में इस गठबंधन से सावधान रहने की जरुरत है। मौजूदा हालात पर उन्होंने देश व प्रदेशवासियों को चौकन्ना रहने की बात कही। उन्होंने आगे कहा कि सत्ताधारी से चुनाव पूर्व किए गए वायदों को चुनाव के दर यान पूछने की बात कही।
घटनाएं अभी भी रूकी नहीं हैं। सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है।
नोटबंदी से न भ्रष्टाचार रूका और नहीं आतंकवाद समाप्त हुआ।
इस समय देश के समक्ष गरीबीए बेकारी जैसे बड़े सवाल हैं। शिक्षा का अभाव है। अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था चरमराई हुई है।
’नौजवानों के साथ तो भाजपा सरकार का रवैया दुश्मनों जैसा है। हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा करने वाली भाजपा नौजवानों का भविष्य अंधकारमय है। नोटबंदी जीएसटी से व्यापार चैपट है। किन्तु भाजपाए उसके फायदे गिनाकर लोगों को झूठे आंकड़ों से बहकाना चाहती है। उसके विकास में रोजगार नहीं आता है। भाजपा झूठ और फरेब की राजनीति करने में अव्वल है। भाजपा सरकारों ने न सिर्फ नौजवानों के सपनों को तोड़ा है बल्कि उनके भविष्य को भी अंधकार में धकेल दिया है।
’अब जनता ने भी अपना मन बना लिया कि वह दुबारा भाजपा को सत्ता में नहीं लाएगी’।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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