दामादे रसूल हजरज अली की जिंदगी सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं बल्कि आलमे इंसानियत के लिए : शब्बीर वली वारसी
अमरोहा, आलिमेदीन शब्बीर वली वारसी ने कहा कि दामादे रसूल हजरज अली की जिंदगी सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं बल्कि आलमे इंसानियत के लिए मशअले राह है। उन्होंने दावा किया कि जिस दिन हम लोग सच्चे दिल से मौला अली के शेदाई बन जाएंगे, उस दिन यकीनन ये जमाना फिर हमने से खौफ खाने लगेगा। मौलाना ने दुनिया में मुसलमानों की पस्ती का सबब अहलेबैत की तालीम से दूर होने को बताया। रविवार को शहर के मोहल्ला दानिशमंदान स्थित अजाखाना अकबर अली में रियाज सुगरा बिन्ते सिकंदर हुसैन की मजलिस-ए-चेहलुम का आयोजन किया गया। जिसमें मरसिया हसन इमाम व उनके हमनवां ने पढ़ा। मौलाना ने मौला अली की अजमत और मरतबे पर बयान में आगे कहा कि दामादे रसूल ने बेटों को ऐसी परवरिश दी कि नाना का दीन बचाने के लिए उन्होंने सिर को कटाना तो मंजूर किया लेकिन जालिम यजीद के आगे सिर को झुकाया नहीं। फरमाया कि अली से मोहब्बत का तकाजा है कि बच्चों का तालीमयाफ्ता बनाया, अहलेबैत की जिंदगी हमे कुर्बानी और सब्र का दर्स देती है। आखिर में वाक्या कर्बला सुनकर हाजरीन की आंखों से आंसू छलक आए। नवाब हुसैन, ताजदार हुसैन, हुसैन अब्बास, मोहसिन रजा, नासिर हुसैन, शमीम हैदर, शेरू, अफसर, नईम रजा, युसूफ खान व शबाब हुसैन वगैरह मौजूद थे।
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