अमेठी से स्मृति ईरानी के नाम की घोषणा होते ही न्यूज़ चैनलों में ईरानी को जीता हुआ दिखाने की लगी होड़


 



नई दिल्ली - भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की  पहली लिस्ट कल रात जारी कर दी इस लिस्ट में 184 प्रत्याशियों के नामो की घोषणा की गई है। लेकिन कल रात टीवी डिबेट में जिन 2 सीटों पर सबसे ज़्यादा चर्चा हुई  वह 2 सीटे अमेठी और गुजरात की गांधीनगर सीटे थी। दरासल अमेठी से भाजपा ने स्मृति ईरानी को मैदान में उतरा है राहुल गाँधी के मुकाबले। 


    बस इस ही वजह से ज़्यादातर न्यूज़ चैनलो  के एंकर स्मृति ईरानी को इलेक्शन पूर्व ही जीता घोषित करने में लग गए।  कुछ ने कहा कि स्मृति ईरानी ने पिछले पांच सालो में  अमेठी का दौरा राहुल गाँधी से ज़्यादा किया है तो कुछ ये कहने में वयस्त थे कि  पिछला चुनाव हारने के बाद भी स्मृति ईरानी अमेठी के लिए कई योजना लाई। एक चैनल पर तो यह कहानी तक सुना डाली गई की किस तरह 2014 का चुनाव राहुल गाँधी हार रहे थे अंतिम समय में सोनिया  गाँधी ने मुलायम सिंह यादव से फ़ोन पर बात कर के उनसे मदत मांगी थी मुलायम की मदत से ही राहुल गाँधी जीते। तो कुछ चैनेलो का इस बात पर ज़ोर था की 2014 के चुनावो किस तरह पोलिंग बूथों पर राहुल गाँधी का विरोध हुआ था।  वग़ैरह वग़ैरह ------------------------


      लेकिन ये सभी चैनल ये बात बताना अपने दर्शको को भूल गए कि पिछले चुनावो में राहुल गांधी ने स्मृति ईरानी को एक लाख से अधिक वोटो से हराया था और स्मृति ईरानी अगर कोई योजना अमेठी लेकर गई भी तोह वह केंद्रीय मंत्री है साथ ही ये उनकी 2019 के चुनाव के मद्देनज़र रणनीति का हिस्सा था ।  ऐसे में मतदान से पहले उनको जीता सा दिखाना गलत है। 


    दूसरी जिस सीट पर चर्चा थी वह थी गुजरात की गांधीनगर सीट जहा से बीजेपी के मार्गदर्शक नेता लाल कृष्ण आडवाणी का टिकट काट कर के भाजपा की ओर से अमित शाह  चुनाव लड़ेंगे अमित शाह की उम्मीदवारी के भाजपा के कार्यकर्ता जितने उत्साहित थे उससे ज़्यादा उत्साहित लगी एक न्यूज़ चैनल की एंकर रुबिका लियाकत बकौल रुबिका 2014 में गुजरात की 26 की 26 सीटे जीती थी।  इस बार अमितशाह "सिपहसालार" गुजरात से मैदान में है तो इस बार जीत का अंतर और अधिक और बड़ा होगा।  मानो रुबिका ये कहते कहते रुक गई हो की इस बार गुजरात से भाजपा 26 में से 52 सीटे जीत कर लायजी। 


   ऐसे में जबकि मीडिया को चौथा स्तम्भ कहा जाता हो आज की मीडिया को अपने गिरेबान में झाकने की ज़रूरत है की इस देश की मीडिया किस ओर जा रही है। 


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