अमरोहा - लोकसभा चुनावो में अमरोहा सीट से बसपा ने कुंवर दानिश अली को बसपा ने अपना प्रत्यासी बनाया है। दानिश हापुड़ के कुंवर महबूब अली के पोते है जो जनता दल के पुराने नेता थे और 1977 में जनता लहर में हापुड़ के सांसद भी बने । जिस कारण दानिश पुराने जनता दल और मौजूदा जनता दल सेक्युलर नेता और पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के करीबी हो गए जिसका फ़ायदा भी उन्हें मिला उनको दिल्ली में जनता दल का प्रवक्ता बना दिया गया और हिंदी भाषी होने के कारण कर्नाटक में कांग्रेस और जे डी सरकार बनने के वक़्त उनकी भूमिका कांग्रेस के दिल्ली के नेताओ से समन्वय में रही जिसके चलते उनको कांग्रेस और जेडीएस गटबंधन समिति का संचालक भी बनाया गया जिसके बाद से राजनीती में दानिश का बिना चुनाव जीते ही कद बढ़ गया और वह अपने आप को जनता दाल सेक्युलर का बड़ा नेता समझने लगे और राज्यसभा के सपने देखने लगे लेकिन जेडीएस से राज्यसभा के टिकट का भरोसा न मिलने के कारण दानिश ने पाला बदल डाला और बीसपी ज्वाइन कर ली ऐसा लोगो का कहना है। हाई प्रोफाइल नेता की छवि होने के कारण बीसपी कोटे का टिकट हासिल करने में इनको ज़्यादा परेशानी नहीं आई । लेकिन अब यही हाई प्रोफाइल छवि उनके और वोटरों के बीच आड़े आ रही है मुक़ामी लोगो के मुताबिक दानिश जनता से संवाद स्थापित नहीं कर रहे। लोगो का कहना है कि वह सपा बसपा और लोकदल के गठबंधन होने से अपनी जीत पक्की मान रहे है जबकि विपक्षी उन पर बाहरी और पैराशूट उमीदवार होने का आरोप लगा रहे है। जिसकी काट उनके पास अभी नहीं दिख रही है अब देखना ये है कि दानिश अली का ये हाई प्रोफाइल बैकग्राउंड उनको अमरोहा सीट के चुनाव में फ़ायदा पहुँचाता है या नुक्सान इसका पता तो 23 मई के आने वाले नतीजों में ही पता चलेगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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