अमरोहा, पांचवे इमाम हजरत बाकर अलेहिस्सलाम की विलादत के सिलसिले में महफिल का आयोजन किया गया। शायरों ने कलाम के जरिए इमाम की खूबियां और अजमत को बयां किया। अश्आर पर खूब दाद हासिल की। शहर के मोहल्ला सद्दो में डा.बाकर रजा के मकान पर सजी महफिल की अध्यक्षता मौलाना गुलाम अब्बास ने की जबकि संचालन की जिम्मेदारी डा.लाडले रहबर ने बखूबी निभाई। अफजाल अमरोहवी ने कहा...मुझको को बाकर का दर मिल गया, यानि जन्नत में घर मिल गया। अशरफ फराज ने यूं पढ़ा...रात मेरी आंखों में एक हसीं ख्वाब आया, मैं दरे इमामत से होके बार याब आया। कोकब अमरोही ने पेश किया...अगर बुलंदियां दरकार है तुम्हें लोगों, तो जिक्र तुम भी करो सुबह-शाम बाकर का। हसन मुज्तबा वाहिद ने कहा..दीने इस्लाम ने फिर एक शरफ पाया है, पांचवा चांद इमामत का नजर आया है। शुजा अब्बास ने अकीदत यूं पिरोई...तुमने समझा ही नहीं जमीं वालो, वारिसे बू तराब हैं बाकर। नजमी अमरोहवी ने पढ़ा...जहां भी होता है जश्ने विलादत बाकर, सभी रसूल फरिश्ते इमाम आते हैं। शाने हैदर बेबाक यूं नमूदार हुए...जश्ने बाकर में चलो फैज उठाओ बेबाक, नाजिशे लुत्फ ओ करम फैज ब दामां आया। हसन इमाम अमरोवही ने कहा..हैं सीरत ओ नबी और बसीरतों में नबी, फजीलतों में मुकम्मल किताब हैं बाकर। इनके अलावा कमाल हैदर अमरोहवी, पंडित भुवन शर्मा, हुमायंू हैदर, लियाकत अमरोहवी, फराज अमरोहवी, नदीम रजा, वसीम हैदर, नौशा अमरोहवी, मकसूद नकवी वगैरह शायरों ने भी अपना-अपना कलाम पेश किया। इस दौरान जाफर रजा, कायम रजा, नाजिम रजा, फरमान हैदर, बासित रजा, तकी रजा, मोहम्मद हैदर व हैदर रजा आदि मौजूद थे।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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