अमरोहा, हजरत इमाम अली नकी अलेहिस्सलाम की विलादत के सिलसिले में महफिल का आयोजन


 



अमरोहा, हजरत इमाम अली नकी अलेहिस्सलाम की विलादत के सिलसिले में  महफिल का आयोजन  किया गया। शायरों ने कलाम पेश कर इमाम की खूबियां और मरतबा बयां करते हुए अहलेबैत की तालीमात पर जिंदगी गुजारने का दर्स दिया। बुधवार को शहर के मोहल्ला घेरमुनाफ स्थित दायम रजा के आवास पर  सजाई गई महफिल की सदारत सैय्यद हकीम सैय्यद औसाफ मेहंदी ने की। नात पाक का नजराना शादाब अमरोहवी ने पेश किया। गदीर अली ने पढ़ा...मेरे लिए थे आज शरफ का मकाम है, लब पर मेरे इमामे नकी का कलाम है। सैय्यद मिकदाद हुसैन यूं नमूदार हुए...मेरी उम्र गुजरे सनाए नबी में, ये हर पल खुदा से दुआ कर रहा हूं। शादाब अमरोहवी ने अजमत को कुछ यूं पिरोया...जो जिक्रे इमामे नकी कर रहे हैं, अंधेरे में वह रौशनी कर रहे हैं।  डा.लाडले रहबर ने पढ़ा...है पोता जो शाह विलायत का रहबर, तो पोते हैं शाह विलायत नकी के। महफिल के आखिर में हजरत इमाम अली नकी अलेहिस्सलाम की तालीमात को आम किया गया। हाजरीन से उनके बताए रास्ते पर चलने की ताकीद की गई।  डा.शारिक रियाज, मोहम्मद अब्बास, मोहम्मद हुसैन, माजिद हुसैन, गदीर अली, अहमद फराज, हकीम औसाफ मेहंदी वगैरह मौजूद रहे। निजामत की जिम्मेदारी डा.लाडले रहबर ने निभाई।


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